भोपाल। सुबे की सियासत से लेकर सोशल मीडिया में लगातार चर्चाओं में रहने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री और सीहोर के कुबेरेश्वर धाम के पं. प्रदीप मिश्रा की जैसे-जैसे लोकप्रियता बढ़ी है। वैसे-वैसे इनके धाम के आसपास की जमीनों के भाव बढ़े। इनके धाम के आसपास यूं तो कोई खास विकास नहीं हुआ है। लेकिन जमीनों के दामों में 5 से 10 गुना तक का इजाफा हुआ। दिलचस्प ये है कि इतनी तेजी से जमीनों के दाम महज कुछ वर्षों में बढ़े हैं। साथ ही ग्रामीणों ने बढ़ती भीड़ देखते हुए होम स्टे भी शुरू कर दिया है। कच्चे-पक्के मकानों में ही एक गद्दा और चारपाई डालकर 100 से 500 रुपए तक किराये पर देने लगे। कथा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां ठहरने की कोई व्यवस्था न होने से वे होम स्टे का सहारा लेते हैं।
वही बात करे छतरपुर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर गढ़ा गांव के बागेश्वर धाम की ख्याति के साथ इलाके में कई बदलाव भी आए हैं। मेन रोड से कटे रहने वाले इस गांव में अब सड़क संपर्क बेहतर होने के साथ ही प्रॉपर्टी के दाम पांच गुना बढ़ गए हैं। 2020 तक गांव में जमीन 2 लाख रुपए प्रति एकड़ थी, अब 10 लाख रुपए प्रति एकड़ तक दाम हो गए। इतना ही नहीं, किराये पर होम स्टे सुविधा देने से गांव के पुराने व देसी घरों की कीमत भी 5 से 10 गुना तक बढ़ गई है। कोरोना के बाद से अचानक चर्चा में आए पं. प्रदीप मिश्रा का आश्रम कुबेरेश्वर धाम सीहोर जिले से 12 किमी दूर है। जहां रोजगार में बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन जमीनों के दाम 10 गुना तक बढ़े। यानी आश्रम के आसपास की जो जमीन पहले 10 से 12 लाख रुपए एकड़ में मिलती थी। वो जमीन अब 80 लाख से 1 करोड़ में बिक रही है। आश्रम के जितनी पास जमीन, दाम उतनी इसी के साथ जब रूद्राक्ष महोत्सव के दौरान घरों में होम स्टे शुरू हो जाता है। ये काम तब इतना चलता है कि लोग स्नान की व्यवस्था के लिए भी प्रति व्यक्ति 100 रुपए लेते हैं।