इंदौर : इंदौर में नगर निगम के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने बुजुर्गों के साथ शर्मसार करने वाला बर्ताव किया है। देपालपुर से मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के लिए मंगलवार को 150 बुजुर्गों को दो बसों में भरकर लाया गया। चोइथराम अस्पताल की ये दोनों बसें 32-32 सीटर थीं। ठसाठस भरी बसों में जितने बुजुर्ग बैठे थे, उनसे कहीं ज्यादा खड़े हुए थे। करीब 40 किलोमीटर के सफर में ये बुजुर्ग एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते रहे।
इंदौर में अगस्त 2019 में आंखों के ऑपरेशन के दौरान बड़ी लापरवाही सामने आई थी। इसमें 11 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी, तो वहीं कई लोगों को इलाज के लिए चेन्नई भेजना पड़ा था। वहीं, करीब दो हफ्ते पहले इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों ने बुजुर्गों को मवेशियों की तरह डंपर में भरकर शहर से बाहर ले जाकर छोड़ दिया था।
देपालपुर में हुई थी बुजुर्गों की जांच
देपालपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार को आसपास के गांवों मरीजों की आंखों की जांच की गई थी। जांच के बाद मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए मरीजों को इंदौर के चोइथराम अस्पताल भेजा गया था। प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन ने न तो बुजुर्गों की उम्र का लिहाज किया और न ही उनकी बीमारी का।
मामला खुला तो अफसर जांच की दलीलें देने लगे
बस में सवार बुजुर्ग मरीजों का कहना था कि अस्पताल प्रबंधन ने ले जाने के लिए यही इंतजाम किया था। इधर, कंडक्टर और ड्राइवर ने कहा कि लोग अपनी मर्जी से बसों में बैठ गए थे। मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों का कहना कि जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
हालांकि, इस दौरान भी ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अस्पताल की बजाय CMHO ऑफिस में मीटिंग कर रही थीं। वहीं, देपालपुर के तहसीलदार बजरंग बहादुर ने कहा कि इस मामले में चोइथराम अस्पताल के स्टाफ को नोटिस जारी किया है।