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Tuesday, November 19, 2024

इंदौर के अपर कलेक्टर के बेटे ने फांसी लगाकर दी जान, मौत से पहले लिखा 2 पेज का सुसाइड नोट..

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इंदौर। इंदौर में पदस्थ अपर कलेक्टर के बेटे ने सरकारी आवास की बालकनी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। कलेक्टर ब्रजेश कुमार विजयवत के बेटे सार्थक ने बुधवार रात फांसी लगा ली। वह IIT खड़गपुर का छात्र था। उसने दो पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है। मृतक सार्थक ने पापा को जिद्दी तो मां को मजबूर बताया। पुलिस का मानना है कि वह डिप्रेशन में था।

महज 19 साल की ही उम्र में सार्थक ने घातक कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि मृतक सार्थक आईआईटी खड़गपुर से अपनी पढ़ाई कर रहा था और कुछ दिन पहले ही इंदौर आया था। कॉलेज प्लेसमेंट में उसे उसके मन मुताबिक और बड़े पैकेज की जॉब नहीं मिली थी जिसके चलते वह निराश था। इसी निराशा के चलते वह डिप्रेशन का शिकार हो गया था। बड़ा पैकेज नहीं मिल पाने के चलते ही उसने आत्महत्या जैसा यह कदम उठाया था

ये लिखा सुसाइड नोट में

सॉरी! और अब क्या ही बोल सकता हूं। जिन उम्मीदों से JEE की तैयारी की थी, उनके टूटने के बाद ही सब कुछ बिगड़ता चला गया। कहां सोचा था कि कैम्पस जाऊंगा, एन्जॉय करूंगा और कहां ये ऑनलाइन असाइनमेंट में फंस गया। शायद टाला जा सकता था। कई लोगों के पास मौका था, लेकिन कुछ नहीं किया। शायद कोई बाहरी मकसद होगा। खैर अब आता ही क्यों, क्योंकि हिम्मत नहीं बची प्रॉब्लम्स झेलने में और कारण नहीं बचा आगे जीने के लिए।

फैमिली भी शानदार है। पापा जिद्दी। मम्मी मजबूर। वात्सल्या मासूम। संभालूं तो किस-किस को। पापा आपको थोड़ा सा ज्यादा टाइम स्पेंड करना था हम सबके साथ। बात करनी चाहिए थी हमसे। जितनी बात अपने भाई-बहनों से करते, उससे आधी भी हमसे करते तो चल जाता।देवेंद्र काका क्या बोलूं यार मैं आपको। थोड़ा ज्यादा अंडरस्टैंडिंग होते तो मजा आ जाता। आप भी राजू काका जैसे तो खूब दिमाग चलाया होगा लेकिन दूसरों का भी तो सोचते यार। आपका और पापा का नेचर एक था तो आपसे ही एक्पेक्ट करता था कि हम पर क्या गुजरती होगी। जब भी कोई पापा का मजाक उड़ाए, यार राजू काका, आपने बहुत निराश किया.. एट द एंड।

दोनों काकीजी की ज्यादा गलती नहीं है। उनका तो नेचर ही ऐसा था।और एक खड़ूस का तो नाम नहीं लूंगा, लेकिन मुझसे इतना सारा एक्सपेक्ट करने से पहले पूछ लेते यार। प्रेशर नहीं हैंडल कर पाया मैं। मम्मी, बहुत सोचा, लेकिन फिर भी आपको सपोर्ट करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाया। हो सके और कभी घूमने जाओ तो सोच लेना मैं आपके साथ हूं। खुद घुमाने नहीं ले गया आपको, फिर भी साथ हूं आपके। मां समझ रहा हूं कि आप अकेली रह जाओगी, लेकिन और बर्दाश्त नहीं हो रहा। सॉरी मम्मी। मन था कहने का तो लिख दिया। आई क्विट।

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