भोपाल।लगभग पांच साल के अंतराल के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तरीय कोर ग्रुप में सबसे चौंकाने वाला कोई नाम है, तो वह जयभान सिंह पवैया का है। पवैया को ग्वालियर-चंबल की राजनीति में महल विरोधी यानी सिंधिया राजघराने का विरोधी माना जाता है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इसी वजह से पवैया को कोर ग्रुप में शामिल कराया गया है, ताकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सियासी संतुलन बनाया जा सके।
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में सिंधिया अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्र्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद से ग्वालियर-चंबल के भाजपा कार्यकर्ता और सिंधिया समर्थकों के बीच मनमुटाव सामान्य बात है। चाहे जिला कार्यसमिति में पदाधिकारियों की नियुक्ति का मुद्दा हो या मंडल स्तर पर समर्थकों को एडजस्ट करने की बात, कई बार सार्वजनिक रूप से मतभेद सामने आए हैं।
कोर ग्रुुप में पार्टी ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को स्थान नहीं दिया, इसकी वजह सामाजिक और भौगोलिक संतुलन को बताया गया है। चूंकि पटेल इन दिनों बुदेलखंड की दमोह लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। इसलिए पार्टी ने उनकी जगह नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह को कोर ग्रुप में शामिल किया है। पिछले दिनों ओबीसी आरक्षण के कानूनी विवाद की लड़ाई की कमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूपेन्द्र सिंह को सौंपी थी, तभी से सिंह का कद पार्टी में बढ़ाया जा रहा है।
भूपेन्द्र सिंह को कोर ग्रुप के साथ ही प्रदेश चुनाव समिति में भी सदस्य बनाया गया है। वहीं पिछड़े वर्ग से कविता पाटीदार को भी कोर ग्रुप में लाकर महिला के साथ ओबीसी का कोटा बढ़ाया गया है। सिंधिया भी सामाजिक दृष्टि से ओबीसी कोटे का प्रतिनिधित्व करते हैं। पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि कोर ग्रुप में शिवराज समर्थक राजेंद्र शुक्ल को विंध्य क्षेत्र से प्रतिनिधित्व दिया गया है। शुक्ल, शिवराज कैबिनेट में लंबे समय तक मंत्री रहे हैं, लेकिन सिंधिया के समर्थन से बनी सरकार में वे स्थान नहीं पा सके।