Saturday, April 19, 2025

मध्य प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीज मिले, जानें लक्षण और खतरे

ग्वालियर। जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस ने चिंता बढ़ा दी है। सागरताल टंकी वाले हनुमान मंदिर के पास सरकारी आवास में दो नए मरीजों की पुष्टि हुई है। जांच के लिए 11 सैंपल गजराराजा मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलाजी लैब भेजे गए थे।

जांच में 30 वर्षीय महिला व 56 वर्षीय पुरुष की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दो दिन पहले 14 वर्षीय किशोरी में वायरस की पुष्टि हुई थी। अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित तीन मरीज मिले चुके हैं। दो नए मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

मलेरिया विभाग की टीम लार्वा सर्वे करने पहुंची। वहीं पशु चिकित्सा विभाग ने सर्वे कर सूअर तलाशे, लेकिन एक भी सूअर नहीं मिला।

11 मरीजों के सैंपल लिए, 2 मिले पॉजिटिव
गजराराजा मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलाजी लैब की रिपोर्ट में रेखा शर्मा (30) व राजेन्द्र प्रसाद (56) को जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस की पुष्टि हुई। वहीं नौ की रिपोर्ट निगेटिव आईं।

जिला अस्पताल मुरार के पैथोलॉजिस्ट डॉ. हरेन्द्र सिंह, महामारी विशेषज्ञ डॉ. महेन्द्र पिपरोलिया, जिला मलेरिया अधिकारी डा. विनोद कुमार दोनेरिया टीम के साथ सागरताल टंकी वाले हनुमान मंदिर के पास सरकारी आवास पहुंचे थे।

किशोरी के स्वजन समेत 11 लोगों के सैंपल लिए थे। पॉजिटिव आए मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं मिली है। वहीं क्षेत्र में सूअर भी नहीं मिले। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम वायरस सरकारी आवास पहुंचने के कारणों की जांच कर रही है।

पॉजिटिव मरीजों के स्वास्थ्य की जांच करेगा दल
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने बताया कि 14 वर्षीय किशोरी के जापानी इंसेफेलाइटिस संक्रमित मिलने के बाद अन्य लोगों की जांच कराई थी। इसमें दो नए पॉजिटिव मिले हैं। इनके स्वास्थ्य की जांच चिकित्सकीय दल भेजकर कराई जाएगी। मलेरिया विभाग की टीम ने पूरे सरकारी आवास में लार्वा सर्वे कर चुकी है। सरकारी आवास में लार्वा नहीं मिला है।

जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण व खतरा
जापानी इंसेफेलाइटिस मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक खतरनाक वायरल संक्रमण है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है। संक्रमित मच्छरों के काटने से यह बीमारी फैलती है।

इसके अधिकांश मामलों में हल्के लक्षण होते हैं। जैसे बुखार, सिरदर्द और उल्टी लेकिन गंभीर मामलों में मस्तिष्क में सूजन, दौरे और कोमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

खासकर बच्चों में इस बीमारी के कारण दौरे और मस्तिष्क संबंधी लक्षण ज्यादा देखे जाते हैं। इस बीमारी का खतरा उन क्षेत्रों में अधिक होता है, जहां स्वच्छता की कमी होती है और मच्छरों का प्रजनन तेजी से होता है।

अध्ययन बताते हैं कि जिन स्थानों पर यह वायरस पहले से ही मौजूद है, वहां यात्रा करने से संक्रमण का जोखिम बढ़ सकता है।

मस्तिष्क संबंधी ये हैं खतरे
जापानी इंसेफेलाइटिस मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, जिसके कारण जीवन भर की जटिलताएं जैसे सुनाई नहीं देना, शरीर के एक हिस्से की कमजोरी और भावनाओं का अनियंत्रित होना हो सकती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मच्छरों से बचाव और स्वच्छता बनाए रखने से इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है।

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