भोपाल। देव गुरु बृहस्पति शुक्रवार को मीन राशि में वक्री हो गए। देव गुरु के वक्री होने से कई राशि के जातकों का भाग्योदय होगा। 118 दिन दिन बाद बृहस्पति मार्गी होंगे। ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में इन्हें पुत्र, जीवनसाथी, धन-संपत्ति, शिक्षा व वैभव का कारक ग्रह माना गया है। पांडित रामजीवन दुबे गुरुजी ने बताया कि देव गुरु बृहस्पति 29 जुलाई को मीन राशि में वक्री होने के बाद 24 नवंबर दिन गुरुवार को 118 दिन बाद पुन: मार्गी होंगे। गुरुजी ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह जब उल्टी चाल से चलता है तो उसे वक्री कहते हैं और जब वह सीधी चाल से चलता है तो उसे मार्गी कहते हैं। देवगुरु के मीन राशि में वक्री होने से जहां कुछ राशियों का भाग्योदय हो जाएगा। इन्हें अधिक धन की प्राप्ति होगी। इनकी सुख समृद्धि में वृद्धि होगी। वहीं कुछ राशियों के जातकों के लिए वक्त मुश्किल हो सकता है।
मेष : द्वादश गुरु वक्री होने से पुराने नुकसान की भरपाई कराएगा। साथ ही जो असफलताएं मिली हैं, उन कार्यों को फिर से सफल बनाने का प्रयास करेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। नई योजनाएं सफल होंगी और धनलाभ होगा।
वृषभ : वक्री गुरु एकादश है, लाभ देने की स्थिति में है। गुरु के वक्री होने से सफलता मिल सकती है। कारोबार की नई योजनाएं बनेंगी और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने का मौका मिलेगा।
मिथुन : गुरु दशम है। वक्री होने से अनुकूल रहेगा। गुरु के वक्री होने से फायदा देने वाली स्थितियां बन सकती हैं। योजनाएं सफल होंगी, नौकरी में नए पद की प्राप्ति संभव है।
कर्क : गुरु की पूर्ण पंचम दृष्टि राशि पर बनी हुई है। गुरु के वक्री होने से उसका प्रभाव कम हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। कारोबार में सावधानी रखें। वाहन प्रयोग में भी सावधान रहें।
सिंह : आठवां गुरु वक्री होने से राहत मिलेगी। गुरु का प्रभाव कम होने से परेशानियों का अंत होगा। कामकाज मे तेजी आएगी। न्यायालयीन मामलों में विजय प्राप्त होगी। आय के नए स्र्त्रोत प्राप्त होंगे।
कन्या : गुरु की पूर्ण सप्तम दृष्टि और वक्री होने से विश्वास की कमी हो सकती है। आय का स्र्त्रोत बना रहेगा। बाधाएं उत्पन्न होंगी, सहयोग करने वाले पीछे हटेंगे। कार्य स्थल पर भी विवाद संभव है। परिवार से सहयोग मिलता रहेगा।
तुला : षष्ठम गुरु वक्री होने से राशि पर ज्यादा नेगेटिव प्रभाव नहीं पड़ेगा। काम तेजी के साथ हो पाएंगे। परिवार और साझेदार सहयोग प्रदान करेंगे। अधिकारी भी अनुकूल बने रहेंगे। यात्रा का योग हैं। वाहन प्रयोग में सावधानी रखना होगी।
वृश्चिक : गुरु की नवम दृष्टि राशि पर है। गुरु के वक्री होने से उसका प्रभाव कुछ कम हो सकता है। ये समय गलतियां सुधारने का है। निकट के कुछ लोगों को आप भूल गए हैं, उनसे मिलें और रिश्ता फिर से स्थापित किजिए।
धनु : इस राशि से गुरु चतुर्थ भाव में है, जो मुश्किलें खड़ी कर रहा था, लेकिन गुरु के वक्री होने से इस राशि को फायदा होने की संभावनाएं बन रही हैं। लाभदायक योग बनेंगे और नुकसान की भरपाई करने सफल रहेंगे।
मकर : तृतीय गुरु अनुकूल है, वक्री होने के बाद भी लाभदायक ही रहेगा। राहत रहेगी, नए कार्यों की प्राप्ति होगी। नई जगहों पर जाने को मिलेगा। रिश्तेदारों से मुलाकात होगी।
कुंभ : द्वितीय गुरु बेहतर फल देने वाला रहेगा। कुंवारों को विवाह प्रस्ताव की प्राप्ति होगी, अटके धन की प्राप्ति होगी। नए कारोबार में भी रुचि हो सकती है। साझेदारों और मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। टूटी दोस्ती फिर से स्थापित होगी।
मीन : राशि में वक्री गुरु रहेगा जो कि नुकसानदायक नहीं है। धर्म कर्म में व्यय होने की संभावना रहेगी। कार्य में मन लगेगा और सफलताएं मिलती रहेंगी। नया मकान खरीदने का मन बन सकता है।