राशि। गुरु ग्रह मीन राशि में 28 मार्च 2023 को अस्त होने वाले हैं। देव गुरु बृहस्पति 09.20 मिनट पर मीन राशि में अस्त हो जाएंगे तथा 22 अप्रैल 2023 को अस्त अवस्था में ही मेष राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद 27 अप्रैल 2023 को मेष राशि में उदय होंगे। ज्योतिष के मुताबिक गुरु ग्रह का मीन राशि में अस्त होने पर सभी राशियों पर असर होगा और कुछ राशियों पर इसके नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति विवाह, संतान, भाग्य, धन, धार्मिक कार्य और शिक्षा आदि के कारक को प्रभावित करते हैं और बृहस्पति का अस्त होने इस सभी कारकों के लिए लिहाज से शुभ नहीं होता है। गुरु की अस्त अवस्था के दौरान शुभ एवं मांगलिक कार्य जैसे कि शादी, सगाई, नामकरण आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। बृहस्पति सूर्य से 11 अंश या इससे अधिक निकट आने पर स्वतः अस्त हो जाते हैं और अपनी शक्ति खोने लगते हैं।
गुरु का अस्त होना इस बार काफी प्रभावशाली रहेगा क्योंकि यह अपनी ही राशि मीन में अस्त होंगे और 22 अप्रैल 2023 को यह अस्त अवस्था में ही मेष राशि में प्रवेश करेंगे। गौरतलब है कि राशि चक्र की 12वीं और अंतिम राशि मीन है। मीन राशि में 12वें भाव के साथ-साथ बृहस्पति के गुण भी शामिल होते हैं। मीन राशि शांति, पवित्रता, अलगाव और एक सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर के स्थानों का प्रतिनिधित्व करती है। इस अवधि में मेष राशि का स्वभाव मीन राशि के बिल्कुल विपरीत है। इस राशि के स्वामी मंगल है और यह राशि चक्र की पहली राशि है। यह प्रकृति से पुरुष और एक उग्र राशि है।
वृषभ राशि के लिए देव गुरु बृहस्पति 8वें और 11वें भाव के स्वामी हैं। गुरु मीन राशि में अस्त होकर वृषभ राशि के सभी जातकों पर सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार के परिणाम देंगे। गुरु वृषभ राशि के 8वें भाव के स्वामी के रूप में अस्त हो रहे हैं, जो इस राशि के जातकों के लिए अनुकूल साबित होगा। आर्थिक लाभ के लिहाज से शुभ साबित न होने की आशंका है। निवेश से अच्छा रिटर्न प्राप्त न हो या घरेलू खर्चों के कारण आर्थिक व्यय हो सकता है। बृहस्पति के अस्त रहने के दौरान संपत्ति या वाहन खरीदने, घर बनाने में पैसा लगाने से बचें। इस दौरान वृषभ राशि के जातकों को बहते हुए पानी में बादाम एवं नारियल पीले कपड़े में लपेटकर प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से बृहस्पति ग्रह के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।