भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार जिस तरह से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करा रही है, उसके कोई मायने नहीं हैं। ऐसा चुनाव, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण न हो, परिसीमन न हो और चक्रानुक्रम का पालन न हो, वो संविधान के विरुद्ध है। ओबीसी को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। कांग्रेस की ओर से जो याचिका थीं वे चक्रानुक्रम और परिसीमन को लेकर थी।
उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण को लेकर हम विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाएंगे। सरकार यदि ओबीसी की हितैषी बनती है तो सुप्रीम कोर्ट जाए, कांग्रेस साथ देगी। हम न्यायालय में जाने पर विचार कर रहे हैं। विवेक कृष्ण तन्खा इस विषय को देख रहे हैं। ओबीसी आरक्षण, परिसीमन और चक्रानुक्रम के साथ ही चुनाव कराए जाएं। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक प्रस्ताव पारित होने के बाद मीडिया से चर्चा में कही।
उन्होंने कहा कि भाजपा ओबीसी हितैषी नहीं है। दिग्विजय सरकार में आरक्षण दिया गया था। हमने वर्ष 2019 में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। 2011 के बाद परिस्थितियां बदल चुकी हैं। नियमों के अनुसार परिसीमन किया गया था और उसके हिसाब से आरक्षण तय हुआ था पर भाजपा सरकार की मंशा कभी चुनाव कराने की नहीं रही, इसलिए डेढ़ साल तक चुनाव की प्रक्रिया ही शुरू नहीं की। अध्यादेश के माध्यम से परिसीमन को निरस्त कर दिया और पुराने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने का निर्णय किया। उधर, जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नए सिरे से आरक्षण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारा स्पष्ट मत है कि ओबीसी आरक्षण को खत्म नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ताओं ने विरोध क्यों नहीं किया। जब सच्चाई सामने आ गई तो यह आरोप लगाने लगे हैं कि कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण का विरोध किया, जबकि यह विषय याचिका में ही नहीं था। विवेक कृष्ण तन्खा ने इसको लेकर नोटिस भी दिया है। विधानसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा। चुनाव आरक्षण के साथ एक साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चुनाव से नहीं भाग रहे हैं बल्कि भाजपा सरकार ओबीसी को आरक्षण देने से भाग रही है। बैठक में महंगाई, खाद-बीज की कमी, कानून व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों को विधानसभा में उठाने पर चर्चा हुई।