भोपाल। आज ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इसके अलावा आज शनि जयंती का भी संयोग बन रहा है। वट सावित्री अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं अंखड सौभाग्यवती होने के लिए वट वृक्ष की पूजा करते हुए व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन सुहागन महिलाओं द्वारा वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और रक्षा सूत्र बांधने से पति की आयु लंबी होता है और उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। महिलाएं पुत्र प्राप्ति की इच्छा से भी ये व्रत करती हैं। वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता हैं। अत: इस वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का पुण्य फल मिलता है।
व्रत का महत्व
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने हठपूर्वक अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज के चंगुल से छुड़ा लाई थीं। इसलिए पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें इस दिन व्रत रखती हैं। माना जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से दीर्घायु, सौभाग्य, समृद्धि और अखंड सुख का वरदान प्राप्त होता है और सभी प्रकार के संघर्ष व दुखों का नाश होता है।
मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई, गुरुवार को रात्रि 09 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 19 मई, शुक्रवार को रात 09 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई शुक्रवार को रखा जाएगा।
पूजा विधि
महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। लाल रंग की साड़ी पहनें। पूजन सामग्री लेकर वट वृक्ष के नीचे जाएं। वट वृक्ष की पूजा में सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, लाल कलावा, कच्चा सूत, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, फल, रोली, मिष्ठान, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर सहित अन्य श्रंगार का सामान लगता है। वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखकर विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं। साथ ही कच्चे सूते से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें। अब महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल अर्पित करें। अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।