डेस्क। रक्षाबंधन पर सदियों से बहने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती आ रही हैं।पौराणिक ग्रंथों में जिक्र है कि द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर समय आने पर मदद का आश्वासन लिया था। आधुनिक भारत में रक्षाबंधन त्योहार मनाने की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता यानी लगभग 55 सौ साल पहले से मानी जाती है।ऐसा भी की कहा जाता है कि जब एलेक्जेंडर यानी सिकंदर दुनिया जीतने के लिए निकला था, तब भारतीय उप महाद्वीप पर उसकी जान राखी से उसकी जान बच गई थी। सिकंदर जब अपनी विश्व विजय के अभियान पर निकला था, तो भारतीय उपमहाद्वीप में उसकी मुठभेड़ राजा पोरस से हुई। यह संघर्ष एक ऐतिहासिक युद्ध के रूप में याद किया जाता है, जो झेलम और चिनाब नदियों के बीच लड़ा गया था।
राखी ने कैसे बचाई सिकंदर की जान
सिकंदर, जो मेसेडोनिया साम्राज्य का ग्रीक योद्धा और बाद में राजा बना, ने 356 ईसापूर्व में दुनिया जीतने की ख्वाहिश के साथ अभियान शुरू किया था। मिस्र, ईरान, मेसोपोटामिया और फिनीशिया जैसे क्षेत्रों को जीतने के बाद जब वह भारतीय उपमहाद्वीप पहुंचा, तो राजा पोरस से उसका सामना हुआ। सिकंदर की सेना में उस समय 50 हजार से अधिक सैनिक थे, लेकिन राजा पोरस की वीरता और उनकी गज सेना भी किसी से कम नहीं थी। युद्ध के दौरान जब सिकंदर की पत्नी को यह जानकारी मिली कि राजा पोरस जीत के करीब हैं, तो उन्होंने राजा पोरस को राखी भेजी। इस राखी के माध्यम से सिकंदर की पत्नी ने पोरस से अनुरोध किया कि वे सिकंदर की जान बख्श दें। कहते हैं कि इस राखी की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए, राजा पोरस ने सिकंदर पर जानलेवा हमला नहीं किया और उसे जीवित बख्श दिया।
युद्ध का परिणाम
सिकंदर और पोरस के बीच झेलम और चिनाब नदियों के किनारे हुआ यह युद्ध, जिसे इतिहास में “Battle of the Hydaspes” के नाम से जाना जाता है, का परिणाम विवादित है। यूनानी इतिहासकार इस युद्ध में सिकंदर की जीत की पुष्टि करते हैं, जबकि अन्य इतिहासकार इस बात को चुनौती देते हैं। इस प्रकार, राखी की इस अद्वितीय भूमिका ने न केवल एक ऐतिहासिक युद्ध का मोड़ बदल दिया, बल्कि भारतीय संस्कृति की एक अनूठी विशेषता को भी उजागर किया।
रक्षाबंधन कब और कैसे शुरू हुआ?