फर्जी अंकसूची के आधार पर स्वास्थ्य विभाग में आठ वर्ष तक नौकरी करने वाले आठ जालसाजों के खिलाफ पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग आठों जालसाजों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य कार्यालय ने जालसाजों के कारनामे से संबंधित दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं। जांच के बाद सभी से वेतन की रिकवरी भी होगी।
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वर्ष 2011 में हुई थी भर्ती
स्वास्थ्य विभाग में विशेष भर्ती अभियान के तहत 2011 में आठ जालसाजों ने लैब टेक्नीशियन और रेडियोग्राफर की नौकरी पा ली थी। सभी को ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थापना दी गई थी। आठ साल तक नियमित कर्मचारी के रूप में सेवा देने वाले इन लैब टेक्नीशियन व रेडियोग्राफर के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच कराई गई, तो वे फर्जी निकले। ओमती पुलिस अब मामले की जांच कर रही है। जल्द ही, जालसाजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
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फर्जी अंकसूची तैयार कर ली थी
स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई जांच में पता चला कि नौकरी पाने के लिए आठों जालसाजों ने फर्जी अंकसूची बनवाई थी। माध्यमिक शिक्षा मंडल से जांच कराई गई, तो उसके फर्जी होने के प्रमाण मिले। फर्जी अंकसूची और उनके मूल अंकसूची के नंबरों में बड़ा अंतर है। कम नंबर के चलते उनका चयन नहीं होता। इस कारण उन्होंने मैरिट सूची में आने के लिए फर्जी अंकसूची बना ली थी। रेडियोग्राफर पद से बर्खास्त किए गए जिन कर्मचारियों की अंकसूची फर्जी मिली, उनमें पनागर स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ विवेक बेदी, ममता मेश्राम सिहोरा, रामेश्वर गजभिये सिहोरा, आनंद पटेल बरेला आदि शामिल हैं।
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जांच हो, तो कई होंगे बेनकाब
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय सूत्रों का कहना है कि बीते एक दशक में स्वास्थ्य विभाग में हुई तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती की जांच कराई जाए तो ऐसे कई चेहरे बेनकाब होंगे। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ ऐसे कई कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाई है। 2011 में हुए विशेष भर्ती अभियान में उक्त आठ जालसाजों के अलावा कुछ अन्य लोगों की अंकसूची में भी गड़बड़ी की आशंका है। ऐसे लोगों की जांच कराने पर सच्चाई सामने आ जाएगी। ओमती टीआई एसपीएस बघेल ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। सभी के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार कर नौकरी लेने का प्रकरण दर्ज होगा।