Saturday, April 19, 2025

शराब ठेकेदारों ने दी चेतावनी, इतने जिलों में नहीं खुलेंगी दुकानें

भोपाल। मध्यप्रदेश में नई शराब नीति पर ठेकेदार और सरकार के बीच तकरार जारी है। नीति के विरोध के चलते ठेकेदार भोपाल, इंदौर, जबलपुर-ग्वालियर समेत प्रदेश के 17 जिलों में ठेके लेने से पीछे हट रहे हैं। यदि वे ठेके नहीं लेते हैं 1 अप्रैल से भोपाल-इंदौर समेत 17 जिलों की 65% शराब दुकानें नहीं खुलेगी। ऐसे में सरकार को करोड़ों के रेवेन्यू का नुकसान होगा, या फिर सरकार को ही ठेके चलवाने पड़ेंगे।

नई नीति के तहत प्रदेश के 17 जिलों में सिंगल की जगह ग्रुप में दुकानों के टेंडर दिए जा रहे हैं। इनमें भोपाल, राजगढ़, इंदौर, खंडवा, जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, कटनी, रीवा, सतना, उज्जैन, नीमच, सागर, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड और मुरैना जिले शामिल हैं। 2000-21 और 2021-22 में यह सिंगल ठेके की व्यवस्था थी। यानी एक ही ठेकेदार जिले की दुकानों का संचालन करते थे। 2022-23 के लिए 3-3 दुकानों के ग्रुप बना दिए गए हैं। यानी, ठेकेदार ग्रुप में दुकान चलाएंगे। इस नीति को लेकर ही ठेकेदार खफा है। वे दुकानें लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 17 जिलों में एवरेज 35% ठेके ही नीलाम हो पाए हैं। देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें एक ही जगह खोलना
मार्जिंन कम करना और रिजर्व प्राइस बढ़ाना माल उठाने की पाबंदियां तय करना ठेके नीलाम नहीं तो सरकार को इतना नुकसान शराब ठेकेदारों की माने तो भोपाल में 90 शराब ठेकों की नीलामी 1094 करोड़ रुपए में होनी है। वहीं, इंदौर में 1300 करोड़ रुपए में ठेके नीलाम होते हैं। इन दोनों ही जिलों में 35% ही ठेके नीलाम हुए हैं। बाकी ठेकों की नीलामी न होने से सरकार को रेवेन्यू का नुकसान होना तय है।

भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। इस दौरान 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25% रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया। यह घाटे का सौदा है। वहीं, देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है। इस कारण कारोबार पर असर पड़ेगा। लिहाजा, वे ठेके लेने से पीछे हट रहे हैं। यही कारण है कि 23 मार्च तक छह दौर की नीलामी होने के बावजूद 65% ठेके नीलाम नहीं हो सके हैं। ठेके नीलाम नहीं तो सरकार ये उठा सकती है कदम ठेकेदार 31 मार्च तक ही ठेके चला सकेंगे। 1 अप्रैल से ठेके नए सिरे से चलेंगे। चूंकि, आधे से ज्यादा ठेके नीलाम नहीं हुए हैं तो सरकार के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। रेवेन्यू के नुकसान से बचने के लिए सरकार या तो खुद ठेके चलवा सकती है या फिर नई शराब नीति में बदलाव कर ठेकेदारों को राहत दे सकती है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!