भोपाल। एडीआर (एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की हालिया रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश में उन नेताओं की सूची प्रकाशित की है जिन पर रेप और महिला हिंसा के आरोप हैं। यह रिपोर्ट कोलकाता में हुए लेडी डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना के संदर्भ में आई है, जिसने पूरे देश में उबाल ला दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में पांच विधायक हैं जिन पर महिला अत्याचार और रेप के मामले दर्ज हैं।
मध्यप्रदेश के इन 5 विधायकों पर दर्ज मामले:
- कमलेश्वर डोडियार – रतलाम जिले के सैलाना विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के विधायक कमलेश्वर डोडियार पर रेप का मामला दर्ज है। हालांकि, हाल ही में उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया है।
- हेमंत कटारे – भिंड जिले के अटेर से कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे पर भी रेप का मामला दर्ज है। यह मामला अभी न्यायिक प्रक्रिया में है।
- कैलाश विजयवर्गीय – मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पर महिला हिंसा का आरोप है। उनकी गिरफ्तारी या अन्य कानूनी कार्रवाई की स्थिति पर जानकारी नहीं है, लेकिन उनके खिलाफ मामला दर्ज है।
- संजय पाठक – कटनी जिले के विजयवराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक संजय पाठक पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का मामला दर्ज है।
- बाबू जंडेल – श्योपुर जिले के कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल पर भी महिला अत्याचार का मामला दर्ज है।
इन मामलों की जानकारी के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या देश और राज्य में महिला सुरक्षा की व्यवस्था में खामियां हैं? राजनीतिक नेताओं पर ऐसे गंभीर आरोपों के बावजूद उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई का अभाव चिंता का विषय है। रिपोर्ट में शामिल नेताओं ने चुनाव के दौरान अपने नॉमिनेशन में इन मामलों की जानकारी दी थी, जो चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े करता है।
यह रिपोर्ट देशभर में महिलाओं के प्रति हिंसा और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित हो सकती है। समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा इस पर विरोध और मांग की जा रही है कि सभी आरोपित नेताओं के खिलाफ शीघ्र और सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके और महिलाओं के प्रति अपराधों को रोकने में प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
इन मामलों पर कानून की पूरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी और दोषियों को सजा दिलाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही, इस मुद्दे पर समाज और राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।