गुना। जिले में तीन दिन में लोकायुक्त की दूसरी कार्रवाई हुई है। सहकारिता निरीक्षक को 40 हजार की रिश्वत लेते टीम ने रंगे हाथों पकड़ा। है। उन्होंने लघु वनोपज सोसाइटी के कर्मचारी से सेवा समाप्ति आदेश निरस्त करने और एक और कर्मचारी से सेवा बहाली करने के लिए 80 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। सहकारिता निरीक्षक आरके गांगिल को वह पहली किश्त के रूप में 40 हजार रुपए दे चुके थे। दूसरी किश्त के लिए लगातार दवाब बनाया जा रहा था। इसकी शिकायत आवेदक सतीश बैरागी ने लोकायुक्त से 10 अक्टूबर को की थी। जिसके बाद शनिवार दोपहर लगभग 1:30 बजे ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने छापा मारकर रिश्वत लेते हुए सहकारिता निरीक्षक को रंगे हाथों पकड़ा है। लोकायुक्त की कार्रवाई जारी है।
लोकायुक्त के इंस्पेक्टर कवींद्र सिंह चौहान ने बताया कि जगदीश बैरागी विपणन सहकारी समिति बमोरी के प्रबंधक हैं। विशाल किरार लघुपज सहकती समिति फतेहगढ़ के प्रबंधक हैं। विशाल किरार के पहले अतीक कुरेशी समिति प्रबंधक के पद पर पदस्थ थे। उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं थी। इसके बाद उनकी सेवाएं फिर से बहाल कर दी गईं। अतीक कुरेशी ने एक प्रकरण विशाल किरार के खिलाफ सहकारिता एक्ट की धाराओं में लगाया था। उस दावे में विशाल के पक्ष में फैसला कराने और अतीक कुरेशी के सेवा बहाली के आदेश को निरस्त कराने के लिए सहकारिता निरीक्षक आरके गांगिल ने आवेदक से 80 हजार रुपए की मांग की थी। इसमें से 40 हजार रुपए पूर्व में वह ले चुके थे। बाकी 40 हजार रुपए की मांग सहकारिता निरीक्षक पिछले 2-3 महीने से लगातार कर रहे थे। 10 अक्टूबर को आवेदक ने इसकी शिकायत लोकायुक्त ग्वालियर को की थी।
शिकायत होने के बाद लोकायुक्त ने शिकायत को वेरीफाई किया। शिकायत सही पाए जाने पर शनिवार को आवेदन द्वारा 40 हजार रुपए देने का तय हुआ। इसके लिए उन्हें पाउडर लगे 40 हजार रुपए दिए गए थे। दोपहर 1:30 बजे के आसपास जैसे ही उन्होंने सहकारिता निरीक्षक को पैसे दिए, इशारा पाकर लोकायुक्त की टीम ने दबिश देकर उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। निरीक्षक वह पैसा जेब में ही रख पाए थे, इतने में ही लोकायुक्त ने उन्हें ट्रैप कर दिया। छापे में लोकायुक्त के और भी कई अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।