ग्वालियर। ग्वालियर में सोमवार सुबह से मौसम खराब है और बूंदाबांदी हो रही है। दुकानदार ठंड के चलते अपनी दुकानों में दुबके बैठे थे कि अचानक उन्हें छतरी क्रमांक पांच और छह की तरफ धुएं का गुबार उठता दिखा। दुकानदारों ने जब तक देखा, तब तक आग की लपटें आसमान छूने लगीं थीं। आग लगने की खबर और नजारा देख मेले में भगदड़ मच गई। दुकानदारों ने पहले खुद आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन आग बढ़ती ही गई। इस बीच फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी वहां पहुंच गईं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग लगने की शुरूआत मेले के छतरी 5-6 से हुई। इस इलाके में आगे हैंडलूम की दुकान है और उन्हीं के पीछे इनके गोदाम बने हुए हैं। आग का धुआं वहीं से उठना शुरू हुआ, लेकिन आज यहां ठंड बहुत है और बरसात भी हो रही है। इसलिए पहले लोगों को इसका आभास नहीं हुआ। लेकिन जब आग ने जोर पकड़ लिया और धुएं के गुबार आसमान पर छाने लगे, उसके बाद दुकानदार और अन्य लोगों को आभास हुआ कि आग लग गई। इसको देखकर दुकानदार आग की तरफ भागे, लेकिन तब तक धुआं आग की तेज लपटों में बदल चुका था। लोगों ने इकट्ठा होकर आग बुझाने का प्रयास भी किया, लेकिन आग आगे ही बढ़ती जा रही थी। आग के लगातार फैलते जाने से मेले के व्यापारी बुरी तरह भयभीत हो गए और वहां हडकंप के साथ भगदड़ मच गई। दुकानदार अपने माल को सुरक्षित करने में जुट गए, लेकिन बूंदाबांदी के चलते उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। इस बीच एक दर्जन से ज्यादा दुकानें आग की चपेट में आकर जल चुकीं थी।
सूचना पाकर मेले में तैनात फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी मौके पर पहुंच गई। साथ ही शहर से भी सभी गाड़ियां वहां पहुंचकर आग पर काबू पाने की कोशिश में जुट गईं। लेकिन गाड़ियों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ाष क्योंकि दुकानों को सुरक्षित रखकर आग बुझाना दिक्कत का काम है, इसके बावजूद फायर ब्रिगेड को अनेक दुकानों को तोड़ना पड़ा। आग लगने से एक दर्जन दुकानें पूरी तरह से जलकर राख हो चुकीं हैं। इनमें सात दुकानें हैंडलूम की हैं, जबकि तीन स्टेशनरी की। इनके अलावा खानपान और स्टेशनरी की भी अनेक दुकानों में काफी नुकसान हुआ है। पीड़ित दुकानदारों ने घटना के लिए ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि इस बार सरकार, प्रशासन और प्राधिकरण ने मेले को कोई सुविधा नहीं दी है, जिसके चलते व्यापारी हर तरह से परेशान हैं और लावारिश महसूस कर रहे हैं। यह घटना भी उसी लापरवाही का परिणाम है, क्योंकि बिजली के तार जगह-जगह खुले पड़े हैं। इनके ही शॉर्ट सर्किट से यह दुखद घटना घटी।
मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र भदकारिया ने कहा कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आधे घंटे में पहुंचीं। तब तक आग फैल चुकी थी। अगर ये आग कलेक्ट्रेट या नगर निगम के दफ्तर में लगी होती तो दस मिनट में पहुंच जातीं। अगर आग दोपहर में लगती तो बहुत बड़ा हादसा होता, क्योंकि बड़ी जनहानि भी हो सकती थी। व्यापारी संघ के प्रमुख भदकारिया ने इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि इतनी बड़ी घटना होने के और दो घंटे बीत जाने के बावजूद प्रशासन का कोई बड़ा अफसर मौके पर नहीं पहुंचा। ऐसे में हम किसके सहारे मेले में दुकानें खोलें। हमने तय किया है, जब तक अधिकारी यहां आकर हमारी समस्याएं नहीं सुनते और हमें ठोस आश्वासन नहीं देते, हम दुकानें नहीं खोलेंगे।