मध्यप्रदेश ने एक बार फिर से सोयाबीन उत्पादन में अपनी बादशाहत साबित करते हुए “सोयाप्रदेश” का ताज अपने सिर पर सजा लिया है। राज्य ने महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए देश में सोयाबीन उत्पादन में पहला स्थान हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि राज्य के किसानों और कृषि प्रबंधन के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखी जा रही है।
भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 41.92% है। राज्य ने 2022-23 के मुकाबले अपने सोयाबीन उत्पादन को और भी बढ़ाया है, जो अब 6675 हजार मैट्रिक टन तक पहुंच गया है। पिछले साल, राज्य का उत्पादन 6332 हजार मैट्रिक टन था, जिससे इस साल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
सोयाबीन की खेती के क्षेत्रफल में भी मध्यप्रदेश ने वृद्धि दर्ज की है। 2022-23 में 5975 हजार हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की खेती की गई थी, जो 2023-24 में बढ़कर 6679 हजार हेक्टेयर हो गई है। यह 1.7% की वृद्धि को दर्शाता है, जो राज्य में सोयाबीन की खेती के प्रति किसानों के बढ़ते रुझान और बेहतर कृषि नीतियों का परिणाम है।
महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर पहली बार फिर शीर्ष पर
2022-23 में महाराष्ट्र 5.47 मिलियन टन सोयाबीन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर था, लेकिन 2023-24 में मध्यप्रदेश ने इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए शीर्ष स्थान पर कब्जा कर लिया है। इस उपलब्धि के साथ, मध्यप्रदेश ने न केवल अपनी कृषि शक्ति को साबित किया है, बल्कि राज्य के किसानों के समर्पण और मेहनत का भी सम्मान किया है।
यह उपलब्धि मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह राज्य की कृषि क्षेत्र में बड़ी सफलता का प्रतीक है। “सोयाप्रदेश” का ताज हासिल करना राज्य के कृषि विभाग, किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। यह न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में कृषि क्षेत्र में और भी प्रगति की उम्मीद जगाता है।
मध्यप्रदेश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो राज्य को देश के सोयाबीन उत्पादन में नंबर एक बनाता है।