भोपाल: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित रातापानी बाघ अभ्यारण्य को जल्द ही प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी मिल गई है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। एक महीने के भीतर इसके लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा, जिससे यह क्षेत्र पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक नया गंतव्य बन जाएगा।
बाघों की बढ़ती संख्या
रातापानी बाघ अभ्यारण्य में वर्तमान में 80 से अधिक बाघ हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह नया टाइगर रिजर्व राजधानी भोपाल के निकट स्थित होने के कारण स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगा। अधिकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र बाघों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
रिजर्व का क्षेत्रफल
वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल के अनुसार, प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1244.518 वर्ग किलोमीटर होगा, जिसमें 763.812 किलोमीटर का कोर क्षेत्र शामिल है। इस क्षेत्र में कोई भी कृषि भूमि नहीं होगी, और बफर क्षेत्र में 32 गांव आएंगे, जिनमें से अधिकांश गांवों ने वन विभाग को अपनी सहमति प्रदान की है।
रातापानी अभ्यारण्य का इतिहास
रातापानी बाघ अभ्यारण्य की स्थापना 1976 में हुई थी, और इसे पहले वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। यहां की स्थानीय नदी, राता, के नाम पर इसका नाम रखा गया है। इस क्षेत्र की हरियाली और जैव विविधता इसे एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करती है। 16 साल पहले केंद्र सरकार ने इसे बाघ अभयारण्य का दर्जा देने की मंजूरी दी थी, लेकिन अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी।