उज्जैन। महाकालेश्वर का स्वर्णकलश और 110 स्वर्ण शिखरियों के बाद अब पूरे शिखर और गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने का बीड़ा स्वर्ण शिखर आरोहण संकल्प समिति ने ले लिया है। इसके लिए सबसे पहला दान सवा किलो सोना शहर के एक श्रद्धालु देने को तैयार हैं। इसके अलावा मुंबई के हीरा व्यापारी और देश के अनेक दानदाताओं के साथ समिति ने चर्चा की है। इस संबंध में जल्दी ही समिति महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को प्रस्ताव देगी। समिति का सिंहस्थ 2028 के पहले यह काम पूरा करने लक्ष्य है। स्वर्ण शिखर आरोहण संकल्प समिति के सदस्य पंण् रमण त्रिवेदी का दावा है कि शिखर और गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने पर करीब 250 किलो सोना लगेगा।
2001 में महाकाल मंदिर पर चढ़ा था पहला स्वर्ण कमल कलश
महाकालेश्वर मंदिर पर स्वर्ण शिखर के आसपास स्वर्ण कमल कलश की स्थापना 2001 में की गई थी। इसके लिए पं.त्रिवेदी के दानदाता ने सोना और बनवाने का पारिश्रमिक दान किया था। पं.दिनेश त्रिवेदी के अनुसार अब पूरे शिखर और गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने का संकल्प लिया है। स्वर्ण शिखर आरोहण समिति का गठन 2005 में शिखरियों को स्वर्ण मंडित करने के लिए किया था। सदस्य दिवाकर नातू, पं.राधेश्याम उपाध्याय, पं. रमण त्रिवेदी, ओम खत्री व शुभकरण शर्मा थे। महाकाल मंदिर समिति नई योजना के लिए समिति का गठन कर सकती है।
250 किलो सोना लगने का अनुमान, कारीगर कर चुके अवलोकन
इसकी प्रेरणा मुंबई के हीरा व्यापारी ने दी। उक्त दानदाता ने अकेले बद्रीनाथ और सोमनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर के लिए दान दिया है। सोमनाथ पर उनका काम चल रहा है जो अंतिम दौर में है। इसके बाद महाकाल मंदिर पर काम शुरू हो सकता है। उक्त व्यापारी ने उज्जैन यात्रा के दौरान स्वर्ण शिखर बनाने वाले कारीगर से शिखर और गर्भगृह पर लगने वाले सोने का इस्टीमेट तैयार करा लिया है। उस समय मंदिर समिति के तत्कालीन अधिकारियों के साथ बातचीत भी हो चुकी थी। स्वर्ण कलश आरोहण संकल्प समिति इस योजना को अब आगे बढ़ाने के लिए फिर से लामबंद हुई है। इस कड़ी में उज्जैन के एक दानदाता सवा किलो सोना दान देकर इसकी शुरुआत करने को तैयार हैं। इस संबंध में जल्दी ही महाकाल मंदिर समिति अध्यक्ष कलेक्टर आशीष सिंह को प्रस्ताव दिया जाएगा। मंजूरी मिल जाने के बाद इस काम शुरू हो जाएगा।