सागर। बुंदेलखंड के चर्चित मानसिंह पटेल के गुमशुदगी मामले में बड़ा खुलासा हुआ है, सागर जिले के थाना सिविल लाईन में मानसिंह पटेल की गुमशुदगी के मामले में FIR दर्ज की गई है, जिसे अब अपहरण के तहत अपराध माना गया है। यह FIR विशेष रूप से अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पंजीबद्ध की गई है, जिसके कथन में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के नाम का उल्लेख किया गया है। इस मामले ने राजनीतिक हलचल मचा दी है और मंत्री राजपूत के मंत्रिपद पर संकट उत्पन्न कर दिया है।
मानसिंह पटेल की गुमशुदगी का मामला
सागर के शिवबिहार कालोनी में निवासी फरियादी सीताराम पटेल ने 26 अगस्त 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके पिता मानसिंह पटेल का गोविंद सिंह राजपूत से जमीन के कब्जे को लेकर विवाद था। रिपोर्ट के अनुसार 21 अगस्त 2016 को मानसिंह पटेल ने घर से बाहर जाते समय गोविंद सिंह राजपूत के साथ विवाद किया था और इसके बाद 22 अगस्त को वह घर से गायब हो गए थे।
रिपोर्ट के कथन में बताया गया था कि मैं शिवबिहार कालोनी सागर में रहता हूँ, खेती करता हूँ। मेरा गोविंद सिंह राजपूत से जमीनी विवाद चल रहा है, दिनांक 21.08.16 की रात करीबन 11.00 बजे मेरे पिता मानसिंह ने मंदिर से वापस आकर मुझे बताया कि, मेरा वातावरण रास्ते में गोविंद सिंह राजपूत से हो गया, जो 22.08.2016 की सुबह करीबन 07.00 बजे मैं और मेरी पत्नि घर पर थी मेरे पिता जी घर से लगे खेत में चारा लेने की बात कर घर से निकले फिर बहुत देर तक वापस नहीं आये… तब मैंने आसपास तलाश किया आसपास पूछताछ की कोई जानकारी नहीं मिली। रिश्तेदारी में पतासाजी करता रहा कोई जानकारी नहीं मिली मेरे पिता बिना बताये घऱ से कहीं चले गये हैं आज रिपोर्ट को आा हूँ कार्यवाही की जावे। गुम इंसान का हुलिया रंग गेहुँआ, ऊँचाई 5 फुट, सिर के बाल सफेद, बाँयी आँख छोटी, सफेद कमीज, काला फुल पैंट पहने है। जिसपर रिपोर्ट पर पुलिस ने गुमइंसान क्रमांक 09/16 कायम कर जाँच में लिया।
मानसिंह पटेल की गुमशुदगी नहीं अपहरण हुआ
23 अगस्त 2024 को उपनिरीक्षक संदीप खरे ने थाना सिविल लाईन में एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के WP(crl) 108/2023 और 350/2023 के तहत 6 अगस्त 2024 को दिए गए निर्देशों के आधार पर गुमशुदगी क्रमांक 09/16 को धारा 365 IPC के तहत आपराधिक प्रकरण के रूप में पंजीबद्ध किया गया है।
क्या है धारा 365 IPC का प्रावधान
धारा 365 IPC के तहत किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी तरीके से अपने कब्जे में लेना या अपहरण करना अपराध माना जाता है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों की सुरक्षा और उनके स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना है। दोषी को अधिकतम 7 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।
अब इस पूरे मामले में गोविंद सिंह राजपूत का नाम शामिल होने से स्थिति गंभीर हो गई है। मंत्री पद पर संकट पैदा हो गया है और मामला अब दिल्ली तक पहुंच चुका है। यदि मामले में मंत्री राजपूत के खिलाफ ठोस सबूत सामने आते हैं, तो उनका मंत्रिपद खतरे में पड़ सकता है।
वहीं, एसआईटी जांच टीम इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। एसआईटी की टीम गुमशुदगी प्रकरण के हर पहलू की जांच कर रही है ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके और मामले की सच्चाई सामने आ सके। इस FIR ने एक ओर जहां कानून व्यवस्था की स्थिति को चुनौती दी है, वहीं दूसरी ओर इस मामले से जुड़े राजनैतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की स्थिति पर निगाहें टिकी हुई हैं और मामले की जांच के परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री डॉ. से गोविंद सिंह राजपूत से इस्तीफा लेने की बात कही है, उन्होंने ट्वीट कर कहा कि MP सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर एक किसान की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लंबे समय से लग रहा था। इस मामले में वह किसान 8 साल से गायब है और अब जाकर पुलिस ने FIR दर्ज की है। 22 अगस्त 2016 से गायब मानसिंह पटेल के बेटे सीताराम पटेल ने पिता के गायब होने की थाने में सूचना दी थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई! पुलिस ने भी इस मामले में लापरवाही बरती! अंततः सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर SIT गठित की गई। इस मामले में सरकारी दबाव और पुलिस की लेतलाली शुरू से ही साफ दिखाई दी। लेकिन, देश में न्याय अभी जिंदा है। क्या मुख्यमंत्री @DrMohanYadav51 भाजपा के मंत्री गोविंदसिंह राजपूत से इस्तीफा लेंगे??
FIR की कॉपी…..
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