ग्वालियर। ग्वालियर शहर के कैंसर हिल्स पर स्थित यह मांढरे वाली माता का मंदिर लगभग 148 साल पुराना है। मंदिर की स्थापना के पीछे भी रोचक कहानी है। सिंधिया रियासत के एक कर्नल को मां ने सपना दिया था। उसके बाद तत्कालीन महाराज ने यह मंदिर का निर्माण कराया था। सिंधिया महल में एक विशेष खिड़की है, जहां से सीधे मां के दर्शन होते हैं। यह सिंधिया घराने की कुलदेवी हैं। इसलिए यहां नौ दिन विशेष श्रृंगार किया जाता है। डेढ़ सौ साल पुराने इस मंदिर में पूजा अर्चना का विशेष महत्व भी है।
ग्वालियर के कैंसर पहाड़िया पर स्थित इस मंदिर की स्थापना सिंधिया राजवंश के कर्नल रहे आनंद राव मांढरे ने की थी। आनंद राव मांढरे महाराष्ट्र के सतारा के बायपास रोड पर स्थित प्राचीन मांढरे वाली माता के परम भक्त थे। 148 साल पहले जब सिंधिया रियासत में वे यहां पदाधिकारी बनकर आए तो अपने साथ माता को भी यहां लेकर आए थे। ऐसी चर्चा है कि एक दिन आनंद राव को माता ने सपने में दर्शन दिए और किसी अच्छे स्थान पर प्राण प्रतिष्ठा कराने के लिए मांढरे से कहा, इस पर उन्होंने तत्कालीन महाराजा को सपने में माता के आदेश के बारे में बताया। महाराजा सिंधिया के प्रयासों से कैंसर पहाड़िया पर इस मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह सिंधिया राजवंश के महल जयविलास पैलेस से 1 किलोमीटर दूर होने के बावजूद महल की एक विशेष खिड़की से माता के दर्शन सिंधिया राजपरिवार के सदस्यों को होते थे। इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मुराद मांगने पर वह जरूर पूरी होती है। यहां बड़ी संख्या में महिला पुरुष और बच्चे आते हैं।
मंदिर के व्यवस्थापक मांढरे परिवार के अनुसार इस मंदिर पर लगे शमी के वृक्ष का प्राचीन काल से सिंधिया राजवंश दशहरे के दिन पूजन किया करता है। आज भी पारंपरिक परिधान धारण कर सिंधिया राजवंश के प्रतिनिधि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे तथा व सरदारों के साथ यहां दशहरे पर मत्था टेकने और शमी का पूजन करने आते हैं। मांढरे वाली माता के दर्शन करने आई डॉक्टर ऐश्वर्या महेश्वरी का कहना है कि यह मंदिर ग्वालियर के जाने माने वाले प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और यह मंदिर सिंधिया परिवार द्वारा स्थापित कराया गया था। माना जाता है कि मांढरे वाली माता हर कष्ट और हर मनोकामना को पूरी करती हैं और मेरी शादी को 30 साल हो गए हैं 30 सालों से मैं हर नवरात्रि पर माता के दर्शन करने आती हूं।