सीधी. मध्य प्रदेश के सीधी जिले का नाम सीधी जरूर है लेकिन यहां की प्रशासनिक व्यवस्था उतनी ही टेढ़ी है. यहां मनरेगा योजना में मजदूरों को प्रति दिन एक रुपये के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. इससे नाखुश श्रमिक कम बंद कर रोजगार की तलाश में अब महानगरों का पलायन कर रहे हैं. विपक्षी कांग्रेस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आंदोलन करने की चेतावनी दे रही है. हालांकि मामला सामने आने पर एसडीएम दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहे हैं.
सीधी जिले के आदिवासी बहुल कुसमी क्षेत्र में मनरेगा योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. इस योजना के तहत काम करने बाले श्रमिकों को एक रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. भदौरा ग्राम पंचायत के बसहारा नाले में बनाये स्टॉप डैम की हुई मजदूरी भुगतान इसमें भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही है. मजदूरी भुगतान के मामले में हो रहे बेहूदा मजाक से श्रमिक नाराज हैं. उन्होंने काम करना बंद कर दिया है और रोजगार के लिए महनागरों का रूख करने पर विचार कर रहे हैं.
मनरेगा योजना में 29 मजदूरों को छह दिन के लिए 174 रुपये का भुगतान
दरअसल कोरोना लॉकडाउन के दौरान जिला प्रसासन द्वारा मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने का प्रवधान बनाया गया था. इसमें जिला पंचायत व जनपद पंचायत सहित पंचायत कर्मियों ने जमकर हेराफेरी की. बल्कि सिहाबल सीधी और रामपुर नैकिन जनपद में श्रमिकों की जगह भारी-भरकम JCB मशीनों से कार्य करवाया. वहीं, आदिवासी जनपद कुसमी क्षेत्र में श्रमिकों को मजदूरी का उचित भुगतान नहीं किया जा रहा है. सब-इंजीनियर अनित दीपंकर द्वारा मनमानी तरीके से मूल्यांकन करते एक रुपये प्रति दिन के हिसाब से मजदूरी का मूल्यांकन कर दिया गया. जिससे कुल 29 श्रमिकों को छह दिन की मजदूरी मात्र 174 रुपये यानी हर एक को एक रुपये रोज के हिसाब से दी गई है.
स्थानीय कांग्रेस नेता ने इस मामले की शिकायत कुसमी एसडीएम से की है. उन्होंने सब-इंजीनियर पर कमीशनखोरी का आरोप लगया है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतवानी दी है. एसडीएम आर.के सिन्हा ने मामले को गंभीरता से लेते हुये तहसीलदार को जांच का आदेश दिया है. साथ ही दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का भरोसा दे रहे हैं.