नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में 3 महीनें बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर अभी से चुनावी बिसात बिछ गई है। बीजेपी की ओर चुनाव की कमान गृहमंत्री अमित शाह ने ताे वहीं कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी ने संभाल रखी है। पिछले दिनों प्रदेश में आप की एंट्री के बाद बीएसपी भी चुनावी मैदान में आ चुकी है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।
एक तरफ सत्ता पक्ष NDA अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की दलीलें दे रही है तो दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन सत्ताधारी को मात देने के लिए कार्य कर रही है और इसमें BSP भी पीछे नहीं है। कांग्रेस पार्टी अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टी के साथ गठबंधन करके फिर से सत्ता में आने की सोच रख रही है। साथ ही NDA फिर से सत्ता में आने का दावा ठोक रही है, लेकिन इनकी कार्यशैली यही बताती है, कि इनकी नीति और सोच लगभग एक जैसी ही रही है। यही कारण है कि BSP ने इनसे दूरी बनाई है।
बसपा ने उत्तर प्रदेश से सटे मध्य प्रदेश के सभी जिलों पर लंबे समय से अपना फोकस बना रखा है। क्योंकि पार्टी को अब तक इन जिलों की सीटों पर सफलता भी मिलती रही है। ऐसे में पार्टी ने विंध्य, बुंदेलखंड, ग्वालियर और चंबल क्षेत्र पर पूरा फोकस बना रखा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को दो सीटें मिली थी। जिसमें एक सीट ग्वालियर-चंबल और एक सीट बुंदेलखंड अंचल से मिली थी। दोनों सदस्यों के समर्थन के बाद प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में काबिज हुई थी।