भोपाल। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) भोपाल के जैव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर विनीत के. शर्मा और उनकी टीम ने सीताफल (शरीफा) का जीनोम अनुक्रमण तैयार कर इसके कई नए औषधीय गुणों का पता लगाया है। शोध में सामने आया है कि सीताफल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण कैंसर और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकते हैं।
फल को अधिक समय तक सुरक्षित रखने की राह खुली
इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि सीताफल को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वर्तमान में यह फल पकने के दो-तीन दिन के भीतर खराब हो जाता है, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। जीनोम क्रम को बदलकर इसकी गुणवत्ता में सुधार किया गया है, जिससे इसका परिवहन और भंडारण आसान हो सकेगा।
दो वर्षों में पूरा हुआ अध्ययन
प्रोफेसर विनीत के. शर्मा और शोधार्थियों- मनोहर विशिष्ट, अभिषेक चक्रवर्ती, और श्रुति महाजन ने इस अध्ययन को दो वर्षों में पूरा किया। यह शोध न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा, बल्कि किसानों और उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी साबित होगा।
आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
शोधकर्ताओं ने सीताफल के जीनोम की गुणवत्ता सुधारने के लिए ऑक्सफोर्ड नैनोपोर और इल्लुमिना तकनीकों का उपयोग किया। इस फल का जीनोम 93.2 मेगाबेस (MB) के साथ सात प्यूडोक्रोमोसोम्स में व्यवस्थित है।
औषधीय गुण और कृषि उपयोग
सीताफल के बायोएक्टिव यौगिकों की पहचान से इसके औषधीय गुणों का अध्ययन आसान हुआ है। शोध में फोटोसिंथेसिस, ऑक्सिडेटिव फॉस्फोराइलेशन और पौधों के तापमान सहनशीलता से जुड़े जीनों का भी विस्तार देखा गया। मिठास, चीनी परिवहन, और द्वितीयक मेटाबोलाइट उत्पादन से जुड़े जीनों की पहचान, इसके प्रजनन और कृषि में उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
जीनोम अनुक्रमण की प्रक्रिया
जीनोम अनुक्रम एक कोड है, जो चार अक्षरों- एडेनीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C), और थाइमीन (T) से मिलकर बनता है। ये क्रम बदलते रहते हैं, जैसे- AGCT, ACGT, ATGC। लाखों-करोड़ों अनुक्रम मिलकर जीन बनाते हैं, जो पौधों के विशेष गुणों को निर्धारित करते हैं।
मध्यप्रदेश में सीताफल उत्पादन
मध्यप्रदेश में हर साल लगभग 12 लाख टन सीताफल का उत्पादन होता है। इस शोध से इसकी गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।