भोपाल। मध्य प्रदेश के परिवहन और स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह हालिया विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में हैं। उनके एक बयान, “आप मेहमान बनकर आओगे तो क्या घर पर कब्जा करोगे?” ने अतिथि शिक्षकों में नाराजगी पैदा की है, जिसके चलते शिक्षकों ने 2 अक्टूबर को राजधानी में बड़े आंदोलन की तैयारी की है। मंत्री ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा है कि वे अतिथि शिक्षकों को अपने समझते हैं और अगर किसी को तकलीफ हुई है, तो खेद व्यक्त करते हैं। हालांकि, शिक्षकों की माफी की मांग जारी है।
इससे पहले, सिवनी में जब बारिश के कारण स्कूल की छत टपकी, तो शिक्षकों ने सुरक्षा के लिए प्लास्टिक लगाना जरूरी समझा, जिस पर मंत्री ने इसे “रील बनाने के चक्कर” का मामला बताया। इस तरह के बयानों ने शिक्षकों और नागरिकों में उनकी छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
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वहीं, ग्वालियर में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने हाल ही में सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान जब उन्होंने आलू की सब्जी का स्वाद लिया, तो आलू की अनुपस्थिति पर वे नाराज हो गए, जो शिक्षा विभाग की गंभीरता को उजागर करता है। सवाल यह उठता है कि मंत्री उदय प्रताप सिंह इस गंभीर स्थिति की अनदेखी क्यों कर रहे हैं।
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इसके साथ ही, परिवहन विभाग में भी अव्यवस्थाएं सामने आई हैं। हाल ही में बंद की गई परिवहन चौकियों के बाद भी अवैध वसूली की खबरें आई हैं। एक Container Office में कर्मचारियों द्वारा अनधिकृत रूप से पैसे एकत्र करने का वीडियो वायरल हुआ है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
स्थानीय नागरिकों ने इस अवैध वसूली की कड़ी निंदा की है और कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि मंत्री उदय प्रताप सिंह के संरक्षण में यह गतिविधियां चल रही हैं। कांग्रेस ने मंत्री के इस्तीफे की मांग की है, जिससे राजनीतिक वातावरण गरमाया हुआ है। उदय प्रताप सिंह के बयानों और उनके विभागों में जारी संकट ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं। शिक्षा और परिवहन दोनों क्षेत्रों में समस्याओं की अनदेखी से न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि इससे जनता का विश्वास भी डगमगा सकता है। अब देखना यह है कि क्या मंत्री इस स्थिति को गंभीरता से लेंगे और सुधार के लिए ठोस कदम उठाएंगे या फिर मध्य प्रदेश के मुखिया इस मामले में कोई बड़ा एक्शन लेंगे।