भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने मंत्रियों को तबादले का अधिकार तो दे दिया है, लेकिन इसे पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं छोड़ा है। मंत्री केवल गंभीर बीमारियों, शिकायतों और कोर्ट के आदेशों के आधार पर ही तबादला कर सकेंगे।
प्रशासनिक कारणों से भी तबादला किया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिन स्थानों से तबादला किया जा रहा है, वहां रिक्तता न बने। तबादला नीति के अभाव में प्रदेश में तबादले रुके हुए थे।
विभागीय मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से समन्वय में प्रकरण भेजे थे, लेकिन अधिक अनुमतियां नहीं मिल रही थीं। गंभीर बीमारियों सहित कई अन्य प्रकरण लंबित होने के कारण प्रशासनिक कार्यों में रुकावटें आ रही थीं।
विशेष प्रकरणों में तबादला
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अनुमति से मंत्रियों को विशेष प्रकरणों में तबादला करने का अधिकार अब संशोधित तबादला नीति के तहत दिया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, लकवा, हृदयाघात के मामलों में तबादला किया जा सके।
साथ ही, कोर्ट के आदेश पर भी स्थानांतरण किया जा सकेगा, लेकिन यह देखा जाएगा कि कहीं अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित तो नहीं है। यदि ऐसा है, तो तबादला संभव नहीं होगा।
अन्य शर्तें और प्रशासनिक आधार पर तबादला
जहां अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही हो, वहां भी तबादला किया जा सकता है। लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो या पुलिस द्वारा शासकीय सेवक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होने या अभियोजन शुरू होने पर भी जांच प्रभावित न हो, इस दृष्टिकोण से तबादला संभव होगा।
निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी, या शासकीय सेवक के निधन के कारण रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए भी तबादला किया जा सकेगा, हालांकि यह प्रशासनिक आधार पर होगा। यदि तबादले से रिक्तता उत्पन्न होती है, तो उस स्थान पर फिर तबादला नहीं किया जा सकेगा।
अप्रैल-मई में तबादला नीति की संभावना
मुख्यमंत्री कार्यालय से उच्च प्राथमिकता वाले तबादलों को विभागीय सचिव अनुमोदन के बाद कर सकेंगे। किसी परियोजना की अवधि समाप्त होने पर या पद का स्थानांतरण होने पर भी तबादला किया जा सकेगा। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सामान्य तबादलों पर से प्रतिबंध अप्रैल-मई में तबादला नीति जारी होने के बाद हटा लिया जाएगा।