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Wednesday, January 15, 2025

गुजरात मॉडल को लागू करने को लेकर शिवराज कैबिनेट के मंत्रियों की बढ़ी धड़कनें

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भोपाल।गुजरात चुनाव मॉडल से मिली ग्रांड सक्सेस से बीजेपी नेता खुश है, लेकिन मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट के मंत्रियों की धड़कनें बढ़ गई है। दरअसल गुजरात में चुनाव से ठीक पहले एंटी इंकम्बेंसी के फेक्टर को खत्म करने के मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट ही बदल दी गई थी। वहीं, कई वरिष्ठों के टिकट काटकर नए चेहरों को दिए गए थे। इसे गुजरात में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिलने का कारण बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश में भी चुनाव से पहले कैबिनेट में बदलाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इसमें कई नॉन परफार्मेंस मंत्रियों को हटाने और कई के विभाग बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसमें सिंधिया गुट के मंत्रियों को हटाने की भी चर्चा हैं।

बीजेपी नेता मध्य प्रदेश में भी गुजरात जैसी जीत दोहराने की बात कह रहे हैं। गुजरात में चुनाव से पहले सत्ता और संगठन दोनों में ही बड़े फेरबदल किए गए। इसके बाद 182 में से बीजेपी 156 सीट की ऐतिहासिक जीत हासिल की। इसका कारण गुजरात चुनाव मॉडल को बताया जा रहा है। अब इस मॉडल को मध्य प्रदेश में लागू करने को लेकर चर्चा जोर पकड़ती जा रही हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने हरदा में गुजरात मॉडल को पूरे देश में लागू करने की बात कही। इससे एक कदम आगे जाते हुए बीजेपी के मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिख दी है। त्रिपाठी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को मध्य प्रदेश में गुजरात मॉडल लागू करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सत्ता और संगठन दोनों में ही अमूलचूल परिवर्तन किया जाना चाहिए। बीजेपी के अंदर ही बदलाव की उठती मांग ने कई मंत्रियों और विधायकों की नींद उड़ा दी हैं।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है। बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से दूर हो गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस की सरकर गिर गई। फिर बीजेपी ने सरकार बना ली। अब पार्टी पिछली कोई गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहती हैं। शिवराज कैबिनेट में अभी चार मंत्री पद खाली है। पार्टी चुनाव से पहले कैबिनेट में क्षेत्रीय और जातीगत समीकरणों को ध्यान रख मंत्री बना सकती है। वहीं, नॉन परफार्मर मंत्रियों को हटा सकती है। इससे एंटी इंकम्बेंसी के फेक्टर को भी कम करने का प्रयास कर सकती है। बीजेपी इनकी जगह दो से तीन बार के विधायकों को मौका दे सकती हैं।

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