इंदौर। विधानसभा में जोरदार हंगामे के बाद बजट सत्र से निलंबित हुए कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी कार्यकारी अध्यक्ष के लेटरपेड का इस्तेमाल कर फिर विवादों में घिर गए है। इसके अलावा यह बात भी उठ रही है कि उनका निलंबन समाप्त हो जाए और कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएगी। इस मुद्दे पर जीतू पटवारी ने अमर उजाला से सिलसिलेवार बात की।
क्या ऐसी कवायद है कि आपका निलंबन समाप्त हो जाए और अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस न लाए।मेरा काम है विपक्ष का रोल प्ले करना। पार्टी क्या निर्णय लेती है। यह मुझे नहीं पता। निलंबन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय कमल नाथ जी और विपक्ष के नेता का था। वे आगे जो निर्णय लेंगे। मुझे वो मानना है। आप कार्यकारी अध्यक्ष है या नहीं। भाजपा अक्सर यह मुद्दा उठाती है। अभी लेटरपेड के इस्तेमाल पर आपको घेरा जा रहा है। जो यह मुद्दा उठा रहे है, उन्हें कांग्रेस पार्टी की साइट देखना चाहिए। जिस पर कौन किस पद पर है सब लिखा है। मैं जिस पद पर हुं। उसी का काम करता हुं।
भाजपा का आरोप है कि आप गलत तथ्य विधानसभा में पेश करते है, इसलिए आपको निलंबित होना पड़ा।भाजपा डरी हुई है। मुख्यमंत्री सचाई से डरते है, वे सवालों के जवाब नहीं देते। उनके विभाग के सत्रह सवालों के उत्तर नहीं मिले। भाजपा कार्यालय में ९ करोड़ का खाना पांच साल में खिलाया। यह बात मैने तथ्यों के साथ सरकार के उत्तर को आधार बनाकर रखी। भाजपा को यह बात बुरी लगती है। प्रदेश का हर व्यक्ति ५३ हजार के कर्ज में है, और भाजपा फिजूलखर्ची करती है। मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि खाने का पैमेंट तो भाजपा कार्यालय ने दिया,लेकिन मैने बिल मांगे तो दे नहीं पाए। मुझे बजट सत्र से निलंबित कर दिया।
आपने इंदौर और भोपाल के चिड़ियाघर के वन्यप्राणियों को बेचने की बात कही। इस पर भी सरकार को आपत्ति है। मैने कभी नहीं कहा कि वन्य प्राणी बेचे है। मैने अदान-प्रदान का ही जिक्र किया। मैने कहा था कि शेर, बाघ, लोमड़ी दी और बदले में लिए तोते, चिपकली और सांप लिए है। सरकार विदेश से चीते लाने का प्रमोशन करती है, लेकिन प्रदेश के बाघ, शेर दूसरे शहरों में भेज रहे है। यही बात मैने उठाई थी।