महेश्वर। मध्यप्रदेश के महेश्वर में आज, 24 जनवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में पहली डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक आयोजित की जाएगी। यह ऐतिहासिक बैठक देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में समर्पित की गई है। बैठक नर्मदा के किनारे स्थित नर्मदा रिट्रीट में आयोजित की जाएगी, जिसे अहिल्याबाई किले की थीम पर सजाया गया है।
17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी का फैसला
बैठक में प्रदेश के 17 प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक शहरों में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया जाएगा। यह कदम धार्मिक स्थलों को नशामुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने इस बैठक को प्रदेश के विकास और सांस्कृतिक धरोहर के सम्मान में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इसके अलावा, नई तबादला नीति पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि
बैठक से पहले, मुख्यमंत्री मोहन यादव और अन्य मंत्री अहिल्याबाई किले में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। यह बैठक विशेष रूप से 100/100 आकार के डोम में आयोजित की जा रही है, जो पूरी तरह से अहिल्याबाई किले की थीम पर आधारित है।
नर्मदा रिट्रीट की विशेष सजावट
नर्मदा रिट्रीट कैंपस में एक विशाल डोम तैयार किया गया है, जहां कैबिनेट बैठक आयोजित होगी। बैठक में शामिल मंत्रियों को मालवी और निमाड़ी व्यंजन परोसे जाएंगे, जिनमें दाल बाफले, चूरमा लड्डू, दाल पानिए, बेसन गट्टे की सब्जी और अन्य पारंपरिक व्यंजन शामिल होंगे। इस बैठक का उद्देश्य महेश्वर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है।
महत्वपूर्ण निर्णयों की उम्मीद
इस बैठक से शराबबंदी और तबादला नीति के अलावा, राज्य में विकास से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। यह बैठक महेश्वर की ऐतिहासिक पहचान और देवी अहिल्याबाई के योगदान को सम्मानित करने के साथ-साथ प्रदेश के भविष्य को दिशा देने का प्रयास है।
982 करोड़ की सिंचाई परियोजना का शिलान्यास
महेश्वर, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां 24 जनवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी कैबिनेट सदस्य महेश्वर जानापाव सिंचाई परियोजना का शिलान्यास करेंगे। यह परियोजना लगभग 982 करोड़ रुपये की है, जो क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
123 गांवों को मिलेगा लाभ
महेश्वर जानापाव सिंचाई परियोजना के पूरा होने पर, खरगोन जिले के महेश्वर, धार जिले के पीथमपुर और इंदौर जिले के मऊ तहसील के 123 ग्रामों के किसानों को सिंचाई के लिए नर्मदा का जल मिलेगा, जिससे उनकी खेती की उपज में वृद्धि होगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।