भोपाल। मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने विकास कार्यों को तेजी देने के लिए एक बार फिर कर्ज लेने की योजना बनाई है। सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके तहत 5 हजार करोड़ रुपए का ऋण लिया जाएगा। यह कर्ज दो किश्तों में लिया जाएगा, प्रत्येक किश्त 2500 करोड़ की होगी।
सूत्रों के अनुसार, इस कर्ज का उपयोग विशेष रूप से लाडली बहना योजना, सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों के भुगतान में किया जाएगा। सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लेने के लिए बांड गिरवी रखने की प्रक्रिया अपनाएगी। यह राशि 25 सितंबर तक सरकार के खाते में आ जाने की संभावना है। यह सरकार द्वारा बजट प्रस्तुत करने के बाद का तीसरा कर्ज होगा। अब तक प्रदेश सरकार 3 लाख 95 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। कर्ज की अधिकता को लेकर विपक्षी दलों ने कई बार सवाल उठाए हैं, जबकि सरकार का कहना है कि विकास कार्यों के लिए यह आवश्यक है।
सरकार द्वारा लिए जाने वाले सभी ऋणों के लिए केन्द्र सरकार की सहमति आवश्यक होती है। इसके अलावा, ऋण लेते समय वित्तीय स्थिति के आधार पर तय मापदंडों का पालन करना अनिवार्य है। सरकार कर्ज का उपयोग राज्य में चल रहे विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए करती है। इसका मुख्य उद्देश्य विकास योजनाओं में किसी भी प्रकार की वित्तीय रुकावट को रोकना है।
वहीं, विपक्ष इस कर्ज को लेकर सरकार पर सवाल उठाते रहते हैं। उनका आरोप है कि सरकार विकास के नाम पर कर्ज लेकर केवल जनता की वित्तीय स्थिति को कमजोर कर रही है। वहीं, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने पूर्व में स्पष्ट किया था कि पिछली सरकारों की तुलना में वर्तमान सरकार का कर्ज लेने का उद्देश्य विकास कार्यों को गति देना है।