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आउटसोर्स कर्मियों के वेतन को लेकर मोहन सरकार ने दिए ये निर्देश

भोपाल। प्रदेश के दस जिलों में पदस्थ एनएचएम आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों को पिछले दस माह से वेतन नहीं दिया गया है। इन्हें शासन द्वारा निर्धारित दर अनुसार समय पर वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे हजारों परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में 12000 आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। सभी विभागों के अधीन डेढ़ लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। सरकार द्वारा कोई भी नीति नहीं बनाई गई है।

स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एवं निजी कंपनियों के ठेकेदारों की कमीशन खोरी में हर महीने करोड़ों रुपये का घपला किया जा रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं। शासन द्वारा निर्धारित दर अनुसार समय पर वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे हजारों परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।प्रदेश की दोहरी नीति से मंडला जिले में 10 माह से वेतन नहीं दिया गया।

पन्ना जिले के टेली मेडिसिन में चार माह से, श्योपुर जिले के विजयपुर में पांच माह से, उज्जैन जिले में दो माह से वेतन नहीं दिया गया। इसी प्रकार उमरिया, नरसिंहपुर, शहडोल, सागर जिले में चार-चार माह से वेतन नहीं दिया गया है। जबकि धार जिले, रायसेन, खंडवा में तीन-तीन माह से वेतन नहीं दिया गया है

प्रदेश सरकार के नियमित कर्मचारियों के साथ-साथ आउटसोर्स वाले कर्मचारियों को भी दीपावाली के पहले 28 अक्टूबर को वेतन दिया जाएगा। वित्त विभाग ने इसके लिए सभी विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को आदेश दिए हैं। साथ ही राज्य शासन के सार्वजनिक उपक्रम, स्थानीय निकाय, विश्वविद्यालय, स्वशासी निकायों सहित अन्य संस्थाओं को परामर्श दिया है कि वे अपने संस्थानों की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने 31 अक्टूबर को दीपावली पर्व को देखते हुए कर्मचारियों को चार दिन पूर्व 28 अक्टूबर को वेतन देने का निर्णय लिया है। यही व्यवस्था संविदा, आउटसोर्स वाले कर्मचारियों के लिए लागू की गई है।

वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि अक्टूबर के वेतन, मानदेय और पारिश्रमिक का भुगतान जो कि एक नवंबर 2024 में दिया जाना था, उसे दीपावली पर्व के दृष्टि में रखते हुए 28 अक्टूबर को दिया जाए। इसके लिए सभी व्यवस्था पहले ही कर ली जाएं ताकि भुगतान में कोई कठिनाई न हो। स्थानीय निकाय, सार्वजनिक उपक्रम, विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थाएं भी अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए निर्णय लें।

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