भोपाल: मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों में काम कर रहे संविदा कर्मियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। राज्य की मोहन सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही है, जबकि सरकारी विभागों का अधिकतर काम इन्हीं संविदा कर्मियों के भरोसे चल रहा है। इसके बावजूद राज्य सरकार उनके साथ उचित व्यवहार नहीं कर रही है।
2023 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा महा पंचायत में वादा किया था कि संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन और सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी। इस वादे पर विश्वास करके संविदा कर्मियों ने भाजपा के पक्ष में वोट किया, जिससे भाजपा की सरकार बनी। लेकिन, जब मुख्यमंत्री बदलकर डॉ. मोहन यादव आए, तो उन्होंने इस वादे को भूल गए।
2023 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा महा पंचायत के दौरान संविदा कर्मियों को लेकर एक बड़ा वादा किया था। उन्होंने कहा था:
“हमारे संविदा कर्मी भी राज्य की सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मैं आप सभी को आश्वासन देता हूं कि हम आपके साथ अन्याय नहीं होने देंगे। आपको भी नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन और सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी। यह सरकार आपके संघर्ष और योगदान को समझती है, और हम आपकी समस्याओं का समाधान करेंगे। संविदा कर्मियों के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है, और हम इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। आप सभी चिंता न करें, आपकी नौकरी सुरक्षित रहेगी, और आपको सभी आवश्यक सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।”
इस बयान ने संविदा कर्मियों के बीच उम्मीद जगा दी थी कि उन्हें जल्द ही नियमित कर्मचारियों की तरह अधिकार मिलेंगे, लेकिन अब तक इस वादे को पूरा नहीं किया गया है।
संविदा कर्मी अब भी उस वादे के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। उनका कहना है कि भाजपा ने उनसे बड़े-बड़े वादे करके वोट तो ले लिया, लेकिन अपना वादा नहीं निभाया। संविदा कर्मियों को हमेशा अपनी नौकरी जाने का डर सताता रहता है, जबकि शिवराज सरकार ने कहा था कि अपराधी पाए जाने पर ही संविदा कर्मियों पर कार्रवाई होगी। अब अधिकारी उन्हें हर छोटी-बड़ी बात पर धमकाते रहते हैं, जिससे वे हमेशा डर के साए में काम करने को मजबूर हैं।