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Tuesday, November 12, 2024

मोहन सरकार शस्त्र पूजन के साथ मनाएगी दशहरा, कांग्रेस ने जताई आपत्ति

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भोपाल: मध्य प्रदेश में इस वर्ष दशहरा पर शस्त्र पूजन की परंपरा के साथ त्योहार मनाने की योजना पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद छिड़ गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में शस्त्र पूजन करेंगे, वहीं महेश्वर में लोकमाता अहिल्या देवी की राजधानी में बड़े स्तर पर शस्त्र पूजन की तैयारियां की जा रही हैं।

महेश्वर में होगा मुख्य आयोजन

मुख्यमंत्री मोहन यादव और अन्य मंत्री महेश्वर में शस्त्र पूजन करेंगे, जिसे एक प्रमुख आयोजन माना जा रहा है। इसके अलावा, राज्य के पुलिस शस्त्रागारों में भी शस्त्रों का पूजन किया जाएगा। राज्यभर में मंत्रियों द्वारा अपने प्रभार वाले जिलों में इसी तरह के कार्यक्रम किए जाएंगे, जिनमें पारंपरिक रूप से शस्त्रों का पूजन किया जाएगा।

कांग्रेस ने जताई आपत्ति

कांग्रेस ने राज्य सरकार द्वारा शस्त्र पूजन के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे को लागू कर रही है और शिक्षा के बाद अब धर्म में भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है। अग्रवाल ने कहा, “दशहरे पर शस्त्रों की पूजा की जाती है, लेकिन उनका प्रदर्शन नहीं किया जाता। सरकार को इस प्रकार के आयोजन करने से बचना चाहिए।”

बीजेपी का पलटवार

कांग्रेस की आपत्ति पर बीजेपी ने तीखा जवाब दिया है। बीजेपी का कहना है कि, “शस्त्र और शास्त्र हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। शस्त्रों का पूजन करना और उन्हें सुरक्षित रखना हमारी परंपरा का हिस्सा है। जरूरत पड़ने पर भगवान राम ने भी शस्त्र उठाया था। शास्त्र और शस्त्र दोनों का सम्मान करना हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।”

राजनीतिक मतभेद उभरते हुए

शस्त्र पूजन का मुद्दा केवल धार्मिक और सांस्कृतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी बन चुका है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस तरह के आयोजनों के जरिए लोगों के धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी इसे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान बताते हुए कांग्रेस की आलोचना को अनुचित बता रही है।

यह विवाद दशहरे के पहले राज्य की राजनीति को गरमा रहा है, जहां दोनों पार्टियां अपनी-अपनी विचारधाराओं को लेकर आमने-सामने खड़ी हैं। बीजेपी शस्त्र और शास्त्र की परंपरा का समर्थन कर रही है, जबकि कांग्रेस इसे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का राजनीतिकरण मान रही है।

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