भोपाल। बुधवार को मोहन सरकार का दूसरा बजट विधानसभा में पेश किया जाएगा, जो चार लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इस बजट का उद्देश्य सभी वर्गों को संतुष्ट करना है, जिसमें गरीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ के लिए भी अतिरिक्त प्रावधान किए जाएंगे। बजट भाषण के अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के सभाकक्ष में सुबह साढ़े 10 बजे कैबिनेट बैठक होगी।
उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बजट प्रस्तुत करेंगे। प्रदेश सरकार का बजट आकार हर साल बढ़ता जा रहा है, और इस बार “जीरो बजट” तैयार किया गया है। इसका मतलब यह है कि किसी भी योजना के लिए राशि का निर्धारण पिछले बजट के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक जरूरतों के अनुसार किया गया है। सरकार का जोर नई योजनाओं को शुरू करने की बजाय, मौजूदा योजनाओं को प्राथमिकता के साथ पूरा करने पर रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “गरीब, युवा, महिला और किसान” मंत्र को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने चार प्रमुख मिशन लागू किए हैं, जिनके लिए बजट में प्रावधान रहेगा। इसके अलावा, औद्योगिक विकास के लिए सरकार द्वारा घोषित 18 नीतियों के तहत प्रोत्साहन की व्यवस्था की जाएगी। सिंचाई और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत खर्च में वृद्धि की जाएगी, और सरकारी पदों पर भर्ती के लिए रोडमैप भी बजट में प्रस्तुत किया जाएगा।
जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने कोई नई योजना नहीं शुरू की और कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज ले रही है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में है, जिसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये ब्याज दिया जा रहा है। इसके बावजूद, सरकार लाड़ली बहना योजना की राशि में वृद्धि नहीं कर पाई, और रसोई गैस की टंकी 450 रुपये में नहीं मिल रही है। इसके अलावा, राज्य में 70 हजार शिक्षकों की कमी और 3.5 लाख छात्राओं के स्कूल छोड़ने का भी मुद्दा उठाया।
इस पर, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है और अदालत से अनुमति लेकर परीक्षा आयोजित की जाएगी। जयवर्धन सिंह ने भर्ती परीक्षाओं में घोटाले का मुद्दा भी उठाया और कहा कि लाखों युवा बेरोजगार हैं। उन्होंने “सीखो कमाओ योजना” के तहत 1000 करोड़ रुपये के बजट का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने महज 30 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं।
इसके अलावा, जयवर्धन सिंह ने जीआईएस में 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश का दावा करने वाली सरकार को फर्जी करार दिया और कहा कि मप्र की जीएसडीपी 15 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में बड़े उद्योग कांग्रेस सरकार की देन हैं, जबकि भाजपा सरकार में कोई बड़ा उद्योग नहीं आया।
सदन में 15 करोड़ रुपये के विधायक निधि करार पर भी हंगामा हुआ, जिसमें जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के विधायकों को ही पूरा एक करोड़ रुपये मिला जबकि अन्य विधायकों को यह राशि नहीं दी गई।