भोपाल। मध्य प्रदेश में हर साल गायब होने वाली बालिकाओं में से करीब 25 प्रतिशत को पुलिस नहीं खोज पाती है। पिछले चार वर्षों में गुम हुईं चार हजार से अधिक बालिकाओं को ढूंढने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम रही है।
यह आंकड़े जनवरी 2021 से लेकर दिसंबर 2024 तक के हैं, और इसमें मानव तस्करी का संदेह भी जताया गया है। यह प्रदेश के लिए एक बड़ा कलंक है, खासकर तब जब सरकार बेटियों के उत्थान के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं चला रही है, लेकिन प्रदेश का पुलिस तंत्र गायब बेटियों को ढूंढने में असफल साबित हो रहा है।
इसकी एक प्रमुख वजह पुलिस बल की कमी भी है। बालिकाओं को खोजने के लिए पुलिस हर साल दो बार ऑपरेशन ‘मुस्कान’ चला रही है, जो 2021 से लागू किया गया है।
गुम हुई बालिकाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2024 के अंत तक, पुराने और नए मामलों को मिलाकर कुल 15,671 बालिकाएं गायब हुईं। इनमें से 11,670 बालिकाओं को पुलिस ने खोजा, लेकिन अभी भी चार हजार से अधिक बालिकाओं का पता नहीं चल पाया है। इनमें से कुछ का अपहरण कर मानव तस्करी के लिए ले जाने की आशंका है। 2024 में अकेले बालिकाओं और महिलाओं के अपहरण के 10,400 मामले पंजीबद्ध किए गए हैं।
महिलाओं की गुमशुदगी की संख्या भी हजारों में है। एक चौंकाने वाली बात यह है कि यदि महिला के साथ अपराध नहीं होता, तो एफआईआर दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है।
ऑपरेशन मुस्कान के तहत जनवरी 2021 से फरवरी 2024 तक कुल 12,567 बालिकाओं को खोजा गया, जिनमें से 659 को जबरदस्ती पकड़कर ले जाया गया था। लैंगिक शोषण के लिए 630 बालिकाओं को, बंधुआ मजदूरी के लिए 17 को और नौकरी के लिए 12 बालिकाओं को अपराधियों ने जबरदस्ती पकड़कर ले जाया था। 2,389 बालिकाओं ने बताया कि वे अपने प्रेमियों के साथ भाग गई थीं, जबकि दो बालिकाओं का अपहरण फिरौती के लिए किया गया था।
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