उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम करना बहुत आसान है. इससे जहां सीने की जकड़न, बलगम की समस्या से छुटकारा मिलता है, वहीं तनाव दूर करने में भी यह मददगार है. इसके अलावा यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और पुरानी सर्दी, खांसी, अस्थमा की समस्या और सांस संबंधी अन्य बीमारियों में भी बहुत फायदेमंद है. उज्जायी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले आप आंखें बंद करके पद्मासन, सुखासन आदि ध्यान मुद्रा में सीधे बैठ जाएं. फिर अपनी नाक के जरिये धीरे-धीरे गहरी सांस लें. इसके बाद मुंह खोल कर धीरे-धीरे सांस छोड़ें. इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं. इसे आप सुबह या शाम कर सकते हैं.
नाड़ी शोधन प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने से श्वसन क्रिया में सुधार होता है और तनाव, अनिद्रा से भी छुटकारा मिलता है. इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं. इसके बाद अपने दाहिने हाथ को अपने मुंह के सामने ले जाएं और अपने हाथ की तर्जनी उंगली और बीच की उंगली को अपने माथे पर रखें. इसके बाद अपने अंगूठे से अपने दाहिने नासिकाछिद्र को दबाए और साथ ही अपनी बीच की उंगली को अपने बाएं नासिकाछिद्र के ऊपर रखें. अब अपने हाथ की उंगली ओर अंगूठे से इसे बारी-बारी दबाएं. इसे करते समय अपनी कमर को सीधा रखें.
मतस्यासन
मतस्यासन बहुत ही सरल और उपयोगी योगासन है. इसे नियमित करने से श्वसन संबंधी बीमारियों में आराम मिलता है और सर्दी, जुकाम भी दूर होता है. इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं. इसके बाद पीछे झुकें और बाएं पैर को अपने दाएं हाथ से पकड़ें. इसके बाद अपने दाएं पैर को बाएं हाथ से पकड़ें. ध्यान रखें कि आपके घुटने जमीन से लगने चाहिए. इसके बाद सांस लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर लेकर करें और धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें. फिर गहरी सांस छोड़ते हुए पहले की स्थिति में आएं. इसे आप तीन से पांच बार कर सकते हैं.
कपालभाति
कपालभाति प्राणायाम की ही एक विधि है. इसे करने से जहां पेट की सभी कोशिकाओं में खिंचाव आता है और इससे पाचनतंत्र ठीक रहता है, वहीं ये श्वसन प्रणाली को भी दुरुस्त करता है. इसे करने के लिए सबसे पहले बैठ जाएं. इसके बाद हाथों को घुटनों पर ज्ञान की मुद्रा में रखें और नाक से सांस छोड़ें. फिर पेट को अंदर की ओर खींचकर रखें. अब नाक से सांस को अंदर खींचें और पेट को बाहर करें. इसे कई बार दोहराएं.