इंदौर। फरवरी और मार्च में हुई माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणामों की घोषणा दोपहर एक बजे होगी। इसी के साथ एक माह से परिणाम की राह देख रहे छात्रों का इंतजार भी खत्म हो जाएगा। दो साल बाद मंडल प्राविण्य सूची भी घोषित करने जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि परिणाम चाहे जो भी छात्रों को घबराना नहीं चाहिए, वहीं माता-पिता को भी चाहिए कि बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाए।
उप जिला परियोजना समन्वयक नरेन्द्र जैन ने बताया कोरोना काल में दो साल बीतने के बाद इस साल फरवरी से 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हुई थी। शहर में करीब 146 केन्द्र बनाए गए थे। जिले में एमपी बोर्ड स्कूलों के 10वीं और 12वीं कक्षा के 79838 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी, जिनमें नियमित और स्वाध्यायी दोनों विद्यार्थी शामिल हैं। इसमें भी 10वीं में 36 हजार 754 नियमित और 7033 स्वाध्यायी विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी, जबकि 29 हजार 352 नियमित और 6699 स्वाध्यायी विद्यार्थियों ने 12वीं की परीक्षा दी थी। दो साल बाद परिणाम घोषित होने जा रहे हैं। दोपहर एक बजे बोर्ड की वेबसाइट पर परिणाम आ जाएंगे। इसके अलावा प्रदेश और जिला स्तर की प्राविण्य सूची भी रहेगी।
इन वेबसाइट्स पर देखे जा सकेंगे रिजल्ट
दोपहर को जारी होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम बोर्ड की वेबसाइट पर जारी होंगे। विद्यार्थी इन वेबसाइट्स पर देखे जा सकते हैं। यह वेबसाइट्स हैं
www.mpresults.nic.in
www.mpbse.mponline.gov.in
www.mpbse.nic.in
मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी बोर्ड परीक्षा परिणामों का इंतजार कर रहे बच्चों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने टि्वटर पर शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई कि उनके परिणाम अपेक्षा के अनुरूप हों। उनका परिश्रम सफल हो।
उत्कृष्ठ बाल विनय मंदिर की प्रभारी संगीता विनायका ने बताया कि बच्चों को कैसा भी परिणाम आए निराश नहीं होना चाहिए। यह जीवन का परिणाम नहीं है। यह एक परीक्षा का परिणाम है। यह एक रास्ता है। अभी मंजिल दूर है। अपेक्षित परिणाम नहीं आने पर आत्मविश्लेषण करना चाहिए। वैश्विक महामारी में हम स्वस्थ रहे, लेकिन आगे मंजिलों को पाने के लिए और मेहनत करना होगी।अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को प्रोत्साहित करें, हतोत्साहित नहीं। बच्चा जितने नंबर लाया है उसकी खुशी मनाएं बजाय उन नंबरों का संताप करने के जो मिले ही नहीं। अक्सर देखने में आता है कि रिजल्ट के बाद अभिभावक बच्चों पर इस बात को लेकर नाराजगी जताते हैं कि उसे अच्छे नंबर नहीं आए। यह ठीक नहीं है। हर बच्चा प्रथम नहीं आता।