भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को फिर से बाजार से ₹5,000 करोड़ का कर्ज लिया। यह ऋण भारतीय रिजर्व बैंक की मुंबई शाखा के माध्यम से दो भागों में लिया गया है। इस कर्ज पर साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जाएगा।
वित्त वर्ष में अब तक ₹25,000 करोड़ का कर्ज
पहला कर्ज ₹2,500 करोड़ का है, जिसे 20 साल बाद चुकाया जाएगा। दूसरा कर्ज भी ₹2,500 करोड़ का है, जिसे 14 साल में चुकाना होगा। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार अब तक ₹20,000 करोड़ का कर्ज ले चुकी थी। नए ऋण को मिलाकर यह आंकड़ा ₹25,000 करोड़ हो गया है।
प्रदेश पर कुल कर्ज ₹3.75 लाख करोड़ के पार
मध्य प्रदेश पर अब ₹3.75 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज हो चुका है। इसका मतलब है कि राज्य का प्रत्येक नागरिक ₹50,000 से अधिक का कर्जदार है। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश का कुल वार्षिक बजट ₹3.65 लाख करोड़ है, जो राज्य के कुल कर्ज से कम है।
कर्ज पर सीमाएं और उपयोग
राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3% तक ऋण ले सकती है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार ₹65,000 करोड़ तक का कर्ज लेने की अनुमति रखती है, जिसका उपयोग विकास परियोजनाओं और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में किया जा सकता है।
सरकार ने अपनी वित्तीय स्थिति को संतोषजनक बताते हुए विशेष परिस्थितियों में ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त आधा प्रतिशत ऋण की अनुमति ली है। हालांकि, इस ऋण का बड़ा हिस्सा मुफ्त योजनाओं के खर्च को पूरा करने में चला जाता है।