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Tuesday, November 26, 2024

किसानों को लेकर MP सरकार ने किया ये ऐलान

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भोपाल। चाहे खरीफ का मौसम हो या रबी का, हर साल खाद वितरण के दौरान दुकानों के बाहर किसानों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। किसान और उनके परिवार के सदस्य घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, और अक्सर खाद की कमी की शिकायतें सामने आती हैं। यह स्थिति तब है जब सरकार सीजन शुरू होने से पहले खाद का अग्रिम भंडारण करती है ताकि बुवाई पर असर न पड़े।

हर साल खाद को लेकर होने वाली इस समस्या को देखते हुए, सरकार अगले वर्ष से वितरण व्यवस्था में बदलाव करेगी। जिन सहकारी समितियों में खाद लेने वाले किसानों की संख्या 500 से अधिक होगी, वहां अतिरिक्त केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता भी ली जाएगी।

प्रदेश में खाद वितरण की स्थिति
वर्तमान में प्रदेश की 4,500 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और राज्य सहकारी विपणन संघ के 500 विक्रय केंद्रों के माध्यम से किसानों को खाद उपलब्ध कराई जाती है। निजी विक्रेताओं को मिलाकर यह संख्या कुल 9,000 विक्रय केंद्रों तक पहुंचती है, जो किसानों की जरूरतों के लिए अब भी अपर्याप्त है।

डिफाल्टर किसानों को खाद की समस्या
सहकारी समितियां केवल उन्हीं किसानों को खाद उपलब्ध कराती हैं जो अपने ऋण नियमित रूप से चुकाते हैं। डिफाल्टर किसानों को खाद उपलब्ध नहीं होती। इन किसानों की जरूरत को पूरा करने के लिए नकद विक्रय केंद्रों के माध्यम से खाद दी जाती है, जिनका संचालन राज्य सहकारी विपणन संघ करता है। खाद की अधिक मांग और किसानों की भीड़ भी इन्हीं केंद्रों पर देखने को मिलती है।

खाद की उपलब्धता और संकट
कृषि विभाग के अनुसार, पिछले सीजन में प्रदेश में 34 लाख टन यूरिया बेचा गया था। इस साल खरीफ और रबी सीजन के दौरान अब तक 25 लाख टन यूरिया की बिक्री हो चुकी है, जबकि पांच लाख टन यूरिया अभी भी उपलब्ध है।

डीएपी और एनपीके की आपूर्ति अपेक्षाकृत कम हुई है। पिछले साल 20 लाख टन डीएपी और एनपीके वितरित किए गए थे, जबकि इस साल अब तक केवल 14 लाख टन की आपूर्ति हो पाई है। विभाग का कहना है कि नवंबर के अंत तक डेढ़ लाख टन अतिरिक्त डीएपी और एनपीके उपलब्ध करा दिया जाएगा।

अगले साल से नई व्यवस्था लागू होगी
कृषि विभाग के सचिव एम. सेलवेंद्रन ने बताया कि खाद की आवक लगातार हो रही है। अगले वर्ष से ऐसी सहकारी समितियों में, जहां किसानों की संख्या अधिक है, अतिरिक्त विक्रय केंद्र बनाए जाएंगे। इससे खाद वितरण में हो रही अव्यवस्था को दूर किया जाएगा। केंद्र सरकार से इस नई व्यवस्था के लिए सहयोग लिया जाएगा।

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