भोपाल। मध्य प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनर को प्रतिमाह मिलने वाली महंगाई राहत में सरकार पांच प्रतिशत की वृद्धि करेगी। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सहमति दे दी है। महंगाई राहत एक मई 2022 से सातवें वेतनमान में 22 और छठवें वेतनमान में 174 प्रतिशत होगी। हालांकि, यह वृद्धि भी कर्मचारियों को मिल रहे महंगाई भत्ते से नौ प्रतिशत कम रहेगी। प्रदेश में कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है।
प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2021 में कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 12 से आठ प्रतिशत बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया था। तब राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पेंशनर की महंगाई राहत में आठ प्रतिशत की वृद्धि करने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन पांच प्रतिशत की ही सहमति मिली। तब से ही प्रदेश के पेंशनर को 17 प्रतिशत महंगाई राहत मिल रही है। सरकार ने इसके बाद एक अप्रैल 2022 से महंगाई भत्ता 11 प्रतिशत बढ़ाकर 31 प्रतिशत कर दिया। वित्त विभाग ने इसका लाभ पेंशनर को देने के लिए मई 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखकर सहमति मांगी पर लेकिन उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया।
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मई 2022 से पेंशनर को सातवें वेतनमान में 22 और छठवें वेतनमान में 174 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत देने का निर्णय लिया। साथ ही मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2000 की धारा 49 के अनुसार महंगाई राहत में वृद्धि की मध्य प्रदेश को सहमति दी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की सहमति मिलने के बाद अब महंगाई राहत में वृद्धि के आदेश जारी किए जाएंगे क्योंकि कैबिनेट में पहले ही महंगाई राहत में वृद्धि का निर्णय लिया जा चुका है।
वही पेंशनर एसोसिएशन मध्य प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने कहा कि महंगाई राहत में मात्र पांच प्रतिशत की वृद्धि किया जाना पेंशनर के साथ अन्याय है। इस वृद्धि के बाद भी महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में 11 प्रतिशत का अंतर रहेगा। पूर्व में भी जब महंगाई राहत बढ़ाई गई थी, तब भी एरियर नहीं दिया गया था। इस बार भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई सहमति में एरियर का कोई उल्लेख नहीं है। ईधर निगम-मंडल पेंशनर संघ के अनिल वाजपेयी और अरूण वर्मा ने मांग की कि राज्य सरकार क्षेत्रीय भविष्य निधि संगठन को निर्देश दे कि वह हायर पेंशन देनेे के कोर्ट के आदेश को जल्द लागू करे।