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श्रीकृष्ण से अटूट रिश्ता: मोहन सरकार कृष्ण और रुक्मिणी हरण स्थल को तीर्थ रूप में करेगी विकसित

भोपाल: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश श्रीकृष्ण-राम से प्रेरित भूमि है, इन स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। श्रीकृष्ण से जुड़ी घटनाओं और स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में पहचान देकर उनका विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, इस बार जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष आयोजन किए जाएंगे।

राज्य सरकार ने सांदिपनी आश्रम, अंबरेश धाम, नरायनधाम, और जानापाव को पर्यटन के लिए विकसित करने की योजना बनाई है।

चार प्रमुख स्थल जो तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होंगे:

  1. सांदीपनि आश्रम, उज्जैन: यह वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। आश्रम में गोमती कुंड नामक एक पवित्र तालाब भी है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र जल इकट्ठा किया था।
  2. नारायण धाम, महिदपुर (उज्जैन): यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रतीक है। यहां का श्रीकृष्ण मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ विराजमान हैं।
  3. अमझेरा धाम, धार: यह वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया था। यह स्थल 7000 साल पुराना माना जाता है और यहां रुक्मिणी की कुलदेवी का मंदिर स्थित है।
  4. जानापाव, इंदौर: जानापाव भगवान परशुराम की जन्मस्थली है, और यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्थलों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने से प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को और अधिक समृद्ध किया जाएगा।

 

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