जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कचरा निस्तारण के लिए राज्य सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है। यह आदेश सरकार की ओर से की गई मांग के आधार पर दिया गया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय की गई है।
राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि एक जनवरी 2025 को भोपाल से पीथमपुर तक ग्रीन कॉरीडोर बनाकर कचरा सुरक्षित रूप से भेजा गया है, और इस प्रक्रिया में सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन किया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया कि वह सुरक्षा के सभी उपायों के साथ, 3 दिसंबर को पारित आदेश का पालन करते हुए आगे की प्रक्रिया को तेज करे।
हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि कचरे का सुरक्षित तरीके से परिवहन किया गया है, अब पीथमपुर में वैज्ञानिक विधि से निस्तारण के लिए अलग से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार को छह सप्ताह का समय दिया गया है और 18 फरवरी को इस मामले में पालन प्रतिवेदन कोर्ट में पेश करने को कहा गया है।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अदालत से यह निवेदन किया कि मीडिया द्वारा फैलाए गए झूठे समाचारों के कारण पीथमपुर में जनाक्रोश बढ़ गया है और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह का समय दिया और मीडिया को फेक न्यूज फैलाने से बचने की चेतावनी दी।
जनहित याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी कचरे का निस्तारण नहीं हुआ है। इस पर महाधिवक्ता ने बताया कि सरकार ने पूर्व आदेश के तहत कचरे का सुरक्षित परिवहन किया है।
इसी मामले के तहत इंदौर के नागरिकों की ओर से भी याचिका दायर की गई, जिसमें पीथमपुर में कचरा लाने के निर्णय को खतरे के रूप में बताया गया, क्योंकि यह क्षेत्र भोपाल से महज 30 किलोमीटर दूर है और यहां के नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है। कोर्ट ने सरकार से इस पर विचार करने और संबंधित पक्षों के साथ बैठक करने को कहा है।