जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अगले शैक्षणिक सत्र से प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जाएं ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए भी सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को एक वर्ष का समय दिया है।
यह निर्देश जबलपुर निवासी छात्र अथर्व चतुर्वेदी की याचिका पर दिया गया। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसने EWS सामान्य वर्ग से नीट परीक्षा में 720 में से 530 अंक हासिल किए थे। इसके बावजूद निजी मेडिकल कॉलेजों में उसे सीट नहीं मिली, जबकि कम अंक वाले NRI और शासकीय स्कूल कोटे के उम्मीदवारों को सीटें आवंटित की गईं।
याचिका में राज्य सरकार की 2024-25 सत्र के प्रवेश नियमों को चुनौती दी गई, जिसमें निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS वर्ग के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गई थीं, जबकि सरकारी कॉलेजों में यह आरक्षण लागू है। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि केंद्र सरकार ने 2019 में EWS आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसका पालन नहीं किया।
सरकार ने दलील दी कि नीट परीक्षा के नियम पहले से तय थे और याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी थी। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के बाद राज्य सरकार को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया।