जबलपुर। हाई कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी आरक्षण को लेकर दायर 55 याचिकाओं पर शुक्रवार को एक साथ सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के सदस्य जज पुरुषेन्द्र कौरव महाधिवक्ता रहते हुए पूर्व में राज्य का पक्ष रख चुके हैं, अतः उन्होंने स्वयं को इस मामले से अलग कर लिया। लिहाजा, अब मामला मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ के साथ अन्य सदस्य जज की बेंच में सुनवाई की व्यवस्था दी गई है। अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट विगत दिनों इस मामले की शीघ्र सुनवाई के निर्देश जारी कर चुका है।
याचिकाकर्ता राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने के खिलाफ हैं : जबलपुर निवासी छात्रा अशिता दुबे व अन्य की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी खड़े हुए। जबकि राज्य शासन की ओर से ओबीसी का पक्ष रखने नियुक्त किए गए विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह खड़े हुए। याचिकाकर्ता राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि यह रवैया सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत की रोशनी में अवैध है।
हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए 19 मार्च, 2019 को प्रीपीजी नीट, मेडिकल की परीक्षाओं में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने बाद में शिक्षक भर्ती व मेडिकल आफिसर की भर्तियों, आयुष कोर्स प्रवेश व अन्य परीक्षाओं में भी ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। इस बीच राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का विधेयक पारित कर दो सितम्बर, 2021 को इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। सामाजिक संस्था यूथ फार इक्वलिटी की ओर से इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई। वहीं ओबीसी वेलफेयर एसोशिएशन की ओर से राज्य सरकार के ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के कदम का समर्थन किया गया है।