MP News: उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के पास बेगमबाग इलाके में एक बार फिर पुलिस प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। हरिफाटक ब्रिज के पास महाकाल मंदिर को जाने वाले मार्ग पर बनी 7 अवैध इमारतों को आज सुबह से तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है। यह कार्रवाई बिना किसी विरोध के शांतिपूर्वक चल रही है। 19 दिन पहले भी यहां 5 इमारतें तोड़ी गई थीं लेकिन तब विरोध हुआ था। इस बार लोग खुद ही अपने भवन खाली कर चुके थे जिससे प्रशासन को परेशानी नहीं हुई।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं
कार्रवाई को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मौके पर 250 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं जिनमें आईपीएस अधिकारी एडिशनल एसपी सीएसपी टीआई और जवान शामिल हैं। साथ ही 250 से ज्यादा प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद हैं। इनमें विकास प्राधिकरण के सीईओ एसडीएम तहसीलदार पटवारी और निगम के कर्मचारी शामिल हैं। चूंकि यह इलाका मुस्लिम बहुल क्षेत्र है इसलिए इसे संवेदनशील मानते हुए दोनों तरफ से रास्ता पूरी तरह बंद कर दिया गया है और महाकाल मंदिर जाने वाले मार्ग को परिवर्तित कर दिया गया है।
30 साल की लीज़ पर दी गई थी ज़मीन
1985 में उज्जैन विकास प्राधिकरण ने बेगमबाग क्षेत्र में लगभग 30 प्लॉट 30 साल की लीज पर दिए थे ताकि लोग वहां आवासीय मकान बना सकें। लेकिन प्लॉट धारकों ने इनका उपयोग व्यवसायिक गतिविधियों के लिए करना शुरू कर दिया। इनकी लीज 2014-15 में खत्म हो गई लेकिन किसी ने नवीनीकरण नहीं कराया। प्राधिकरण ने कई बार नोटिस जारी किए और अंततः 2023-24 में लीज रद्द कर दी। इसके बाद कुछ लोगों ने कोर्ट में केस कर दिया और कई प्लॉटों पर स्टे ले लिया जो अब हट चुका है।
65 में से 12 इमारतें गिर चुकी हैं
विकास प्राधिकरण ने जिन 30 प्लॉटों को दिया था उनकी साइज लगभग 2400 वर्गफुट थी। लेकिन प्लॉट धारकों ने इन्हें टुकड़ों में बांटकर 65 इमारतें बना दीं। अब तक 12 इमारतें तोड़ी जा चुकी हैं और बाकी 53 इमारतों पर भी कानूनी प्रक्रिया जारी है। आज जिन 7 इमारतों को गिराया जा रहा है वे 4 प्लॉटों पर बनी थीं। गुलनाज खान ने प्लॉट नंबर 20 को दो भागों में बांटकर दुकानें बनाई थीं। मोहम्मद शाहिद ने प्लॉट नंबर 30 को बांटकर होटल बना लिया। कनीज़ खान ने प्लॉट नंबर 59 का पूरा व्यावसायिक उपयोग किया जबकि जुबैदा खान ने प्लॉट नंबर 64 को बांटकर दुकानें बनाई थीं।
कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई
उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ संदीप कुमार सोनी ने बताया कि यह कार्रवाई कोर्ट से स्टे हटने के बाद की गई है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को प्लॉट दिए गए थे वे केवल आवासीय उपयोग के लिए थे लेकिन उन्हें व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल किया गया जो कि नियमों का उल्लंघन था। इसके अलावा जब लीज खत्म हो गई तब भी उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया। सभी को 8 दिन पहले नोटिस दिया गया था और समय सीमा समाप्त होने के बाद आज शांतिपूर्वक कार्रवाई की गई। लोगों को कोर्ट की प्रक्रिया समझाई गई और उन्होंने खुद ही भवन खाली कर दिए जिससे विवाद नहीं हुआ।