MP News: स्कूल नहीं गए खुद, भेज दिए प्राइवेट मास्टर! पांच सरकारी शिक्षक बर्खास्त, प्रशासन का बड़ा एक्शन

MP News: जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही पर अब प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। कलेक्टर संदीप जीआर ने आदेश जारी कर पांच सरकारी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। यह फैसला तब लिया गया जब लगातार मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए प्रशासन को जानकारी मिल रही थी कि कुछ शिक्षक खुद स्कूल नहीं जा रहे हैं और अपनी जगह प्राइवेट टीचर्स को भेज रहे हैं। जब इस शिकायत की जांच करवाई गई तो आरोप सच साबित हुए और तुरंत कार्रवाई की गई।

जांच में हुआ फर्जी शिक्षण का पर्दाफाश

जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा एक टीम बनाई गई थी। इस टीम ने अलग-अलग स्कूलों का दौरा किया और बच्चों से बातचीत की। रिपोर्ट में सामने आया कि पांचों शिक्षक सप्ताह में केवल एक दिन स्कूल आते थे और बाकी दिन अपनी जगह किसी दूसरे व्यक्ति को पढ़ाने के लिए भेजते थे। यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि सरकारी सेवा की गरिमा का खुला उल्लंघन था। यह व्यवहार सेवा नियमों के खिलाफ पाया गया और इसे अपराध की श्रेणी में भी माना गया।

MP News: स्कूल नहीं गए खुद, भेज दिए प्राइवेट मास्टर! पांच सरकारी शिक्षक बर्खास्त, प्रशासन का बड़ा एक्शन

इस पूरे मामले में जिन शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है उनके नाम और तैनाती के स्थान भी सामने आ गए हैं। इनमें शामिल हैं अनिल मिश्रा जो कि प्राथमिक विद्यालय रहली विकासखंड जैसनगर में पदस्थ थे। जानकी तिवारी जो कि शासकीय माध्यमिक विद्यालय बंजरिया में कार्यरत थीं। अवतार सिंह ठाकुर जो कि प्राथमिक विद्यालय कजरई विकासखंड खुरई में थे। रूप सिंह चढ़ार जो कि एकीकृत माध्यमिक विद्यालय भलैया मल्लथौन में थे और इंद्र विक्रम सिंह परमार जो कि प्राथमिक विद्यालय मंजेरा विकासखंड मल्लथौन में तैनात थे। इन सभी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

जांच में मिले पक्के सबूत

जांच टीम ने जब स्कूलों का दौरा किया तो विद्यार्थियों ने बताया कि असली शिक्षक बहुत कम आते हैं और उनकी जगह कोई और पढ़ाता है। जैसे कि अनिल मिश्रा की जगह भगवान दास साकवार पढ़ा रहे थे। जानकी तिवारी की जगह गोपाल प्रसाद प्रजापति मौजूद थे। अवतार सिंह ठाकुर की जगह राहुल पंडित। रूप सिंह चढ़ार की जगह विक्रम सिंह लोधी और इंद्र विक्रम सिंह परमार की जगह ममता अहिरवार पढ़ा रही थीं। यह सभी स्थानीय लोग थे जिन्हें पैसे देकर पढ़ाने के लिए रखा गया था।

जांच अधिकारियों ने इस व्यवहार को अनुशासनहीनता और अपराध की श्रेणी में माना है। यह कृत्य न केवल मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के खिलाफ है बल्कि सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण और अपील नियम 1966 के भी विपरीत है। इसलिए इन्हें बर्खास्त करना एक आवश्यक कदम था। इससे बाकी शिक्षकों को भी स्पष्ट संदेश गया है कि अगर कोई भी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ेगा तो उस पर भी इसी तरह की सख्त कार्रवाई होगी। शिक्षा जैसे पवित्र कार्य में इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

लेटेस्ट न्यूज़
- Advertisment -

धार्मिक

error: Content is protected !!