MP News: शिवपुरी शहर के पोहरी रोड पर बन रहे ओवरब्रिज का एक हिस्सा शनिवार रात अचानक भरभरा कर गिर गया। यह हादसा उस वक्त हुआ जब मजदूर पुल पर कंक्रीट भरने और वाइब्रेट करने का काम कर रहे थे। इस दुर्घटना में छह मजदूर घायल हो गए जिन्हें तुरंत शिवपुरी के जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। राहत की बात यह रही कि पुल के नीचे उस समय कोई मजदूर मौजूद नहीं था वरना हादसा और भी भयानक हो सकता था। यह पुल नया बस स्टैंड रेलवे क्रॉसिंग पर बन रहा है जिसकी लागत 80 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
पुल के गिरने के बाद मचा प्रशासन में हड़कंप
इस हादसे की खबर मिलते ही इलाके में हड़कंप मच गया और पुलिस के आला अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ घटनास्थल का जायजा लिया बल्कि अस्पताल जाकर घायलों की स्थिति की जानकारी भी ली। लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि इतना बड़ा प्रोजेक्ट होने के बावजूद निर्माण में लापरवाही बरती गई। पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह ने निर्माण एजेंसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि इस पुल का निर्माण घटिया सामग्री से किया गया है। उन्होंने दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
साल भर पहले हुआ था भूमि पूजन
यह ओवरब्रिज पिछले साल शुरू किया गया था जब केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसका भूमि पूजन किया था। परियोजना की शुरुआत बड़े स्तर पर की गई थी और इसे शहर के ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा था। लेकिन इस हादसे ने परियोजना की गुणवत्ता और उसकी निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि यदि इतनी जल्दी पुल का हिस्सा गिर सकता है तो यह साफ दर्शाता है कि निर्माण कार्य में भारी गड़बड़ियां की गई हैं। यह हादसा केवल लापरवाही का नहीं बल्कि सिस्टम की विफलता का परिणाम है।
लोक निर्माण विभाग ने दी सफाई
पुल गिरने की घटना के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की ओर से सफाई सामने आई है। कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी ब्रिज कंस्ट्रक्शन डिवीजन ग्वालियर ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि 13 जून की सुबह पियर नंबर 15 से 16 के बीच स्लैब डाला गया था। उसी दिन शाम को उपमंडल अधिकारी ने स्लैब में दरारें देखीं और ठेकेदार को लिखित में स्लैब तोड़ने का आदेश दिया गया। इसके बाद 14 जून की रात को इसे विभागीय उपयंत्री की उपस्थिति में तोड़ा गया और इस प्रक्रिया में किसी की जान नहीं गई। अधिकारियों का कहना है कि स्लैब तोड़ना सुरक्षा प्रावधानों के साथ किया गया था।
लोग बोले यह महज लीपापोती है
हालांकि प्रशासन ने इसे नियंत्रित विस्फोट और योजनाबद्ध तोड़फोड़ बताने की कोशिश की लेकिन लोगों और स्थानीय नेताओं को यह बयान हजम नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि अगर वाकई ऐसा था तो फिर मजदूरों को क्यों चोट आई और घटनास्थल पर सुरक्षा के इंतजाम क्यों नदारद थे। लोगों का कहना है कि यह पूरा मामला छिपाने की कोशिश हो रही है ताकि किसी पर कार्रवाई न करनी पड़े। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाती है या फिर इसे भी अन्य हादसों की तरह भुला दिया जाएगा।