MP News: माउंट एवरेस्ट समेत दुनिया की चार ऊंची चोटियों को फतह करने वाली मध्यप्रदेश की पहली महिला मेघा परमार को विक्रम पुरस्कार न दिए जाने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ ने सरकार को दो हफ्तों में जवाब पेश करने के निर्देश दिए। इस दौरान याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी गई कि वह सरकार के समक्ष अपनी बात लिखित रूप में प्रस्तुत करे।
विक्रम अवार्ड के नियमों में बदलाव और मेघा का दावा
मेघा परमार की याचिका में यह बताया गया कि वर्ष 2019 में विक्रम पुरस्कार नियमों में संशोधन किया गया था जिसमें अब एडवेंचर गेम्स को भी शामिल किया गया है। मेघा का कहना है कि उन्होंने माउंट एवरेस्ट के साथ साथ माउंट कासियस माउंट किलीमंजारो और माउंट एल्ब्रुस की चढ़ाई भी भव्यना डहरिया से पहले की थी। इस बात का साक्ष्य भी याचिका में समय के साथ पेश किया गया है।
भव्यना को अवॉर्ड मिलने पर आपत्ति नहीं पर न्याय चाहिए
याचिकाकर्ता ने अदालत में स्पष्ट किया कि उन्हें भव्यना डहरिया को पुरस्कार मिलने से कोई आपत्ति नहीं है बल्कि उनका केवल यही कहना है कि योग्यता के आधार पर उन्हें भी विक्रम अवार्ड मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब 2016 में दो पुरुषों को एक साथ अवार्ड दिया जा सकता है तो दोनों योग्य महिला खिलाड़ियों को क्यों नहीं।
सरकार ने दी अपनी दलील कोर्ट ने मांगा जवाब
राज्य सरकार की ओर से अदालत में दलील दी गई कि खिलाड़ियों के नामों की घोषणा हो चुकी है और इसमें अब कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही सरकार की ओर से यह सवाल भी उठाया गया कि याचिकाकर्ता ने भव्यना को प्रतिवादी क्यों नहीं बनाया। मेघा की ओर से कहा गया कि वह किसी से विरोध नहीं कर रही हैं उन्हें बस न्याय की उम्मीद है।
वरिष्ठ वकील विवेक टन्खा की जोरदार पैरवी
मेघा की ओर से वरिष्ठ वकील विवेक टन्खा ने अदालत में जोरदार तरीके से पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि कैसे सरकार ने पहले नियमों में ढील दी थी और अगर कोई खिलाड़ी योग्यता रखता है तो उसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखने और आवेदन प्रस्तुत करने की छूट दे दी। यह मामला अब सरकार के उत्तर और अगली सुनवाई पर निर्भर करेगा।