MP News : बिजली की फिजूलखर्ची रोकने के लिए एक नवंबर से मध्य प्रदेश में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। ये नियम ऐसे नए भवनों में लागू होंगे, जिनमें बिजली की खपत 100 किलोवॉट से ज्यादा होगी।
इन भवनों के नक्शे तैयार करते समय बिजली की खपत की भी योजना बनेगी, इसके आधार पर भवन में बिजली वायरिंग, उपकरण लगाए जाएंगे और भवन बनने के बाद उसकी लगातार निगरानी होगी। यदि भवन में योजना के मुताबिक तय खपत से 20 फीसद ज्यादा बिजली जलाई जाती है, तो पहली बार भवन स्वामी को नोटिस दिया जाएगा और दूसरी बार में एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। इसकी निगरानी ऊर्जा विकास निगम करेगा। प्रदेश में हर साल ऐसे 110 से 180 भवन बनते हैं।
ऊर्जा विकास निगम के मुख्य अभियंता भुवनेश पटेल ने बताया कि इन नियमों के तहत नए व्यावसायिक भवनों में ऊर्जा की खपत पर नजर रखने के लिए वास्तुकार (ऑर्किटेक्ट) की तरह ऊर्जा अंकेक्षक (एनर्जी ऑडिटर) नियुक्त किए जाएंगे, जो भवन निर्माण के समय ऊर्जा योजना मंजूर करेंगे।
भवन स्वामी यदि नियमों का पालन नहीं करता है तो नोटिस देकर खपत को नियंत्रित करने को कहा जाएगा। ऐसे मामलों में राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति और जिला स्तरीय समिति सुनवाई करेगी। नए नियमों में ऊर्जा अंकेक्षक भवन निर्माण का नक्शा देखकर ऊर्जा योजना को मंजूरी देंगे। भवन में हवा आने का रास्ता नहीं, तो योजना भी नहीं। वहीं बाहरी हिस्से में ऐसी सामग्री लगानी होगी, जो गर्मी को अंदर जाने से रोके।
ये भवन आएंगे नियमों के दायरे में
व्यावसायिक भवन जैसे होटल, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य संस्थान, शॉपिंग सेंटर, वाणिज्यिक-व्यापारिक उपयोग के भवन हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, मनोरंजन, सामाजिक, धार्मिक उद्देश्य के ऐसे भवन जहां बड़ी संख्या में लोग इकठ्ठा होते हैं, इस दायरे में आएंगे।