MP News: मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को दिन के समय सोलर ऊर्जा से सिंचाई की सुविधा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत ‘सूर्यमित्र कृषि फीडर योजना’ की शुरुआत की जा रही है। यह योजना प्रधानमंत्री कुसुम योजना का ही विस्तार है। राज्य के नवीन और नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह योजना किसानों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आएगी क्योंकि अब उन्हें रात की बजाय दिन में बिजली मिलेगी जिससे सिंचाई करना आसान हो जाएगा।
राकेश शुक्ला ने बताया कि 10 जून को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में ‘सूर्यमित्र कृषि फीडर समिट’ का आयोजन किया जाएगा। इस समिट में प्रोजेक्ट डेवलपर्स प्लांट लगाने वाले विशेषज्ञों और तकनीकी जानकारों को वित्तीय और तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाएगा। इसका उद्देश्य राज्यभर में सोलर फीडर योजना को तेज़ी से लागू करना और इससे जुड़ी सभी संस्थाओं को एक मंच पर लाना है। सरकार चाहती है कि किसान इस योजना के लाभ को शीघ्र प्राप्त करें और उनकी निर्भरता परंपरागत बिजली स्रोतों पर कम हो।
राज्य में फिलहाल करीब 8000 कृषि फीडर और 35 लाख से ज्यादा कृषि पंप हैं। इन सभी फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ने की योजना बनाई गई है। इसके तहत सौ प्रतिशत क्षमता वाले सोलर प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। इससे किसानों को दिन के समय सस्ती और स्थायी बिजली मिल सकेगी। इस योजना से न केवल किसानों को लाभ होगा बल्कि बिजली ग्रिड की स्थिरता भी बढ़ेगी। ट्रांसमिशन लॉस कम होगा और सबस्टेशन पर कम वोल्टेज व ओवरलोड जैसी समस्याएं भी घटेंगी।
फिलहाल राज्य में 80 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाएं लग चुकी हैं जिनसे 16000 से अधिक कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है। इसके अलावा 240 मेगावॉट की परियोजनाएं अभी निर्माणाधीन हैं और 200 मेगावॉट की योजनाएं प्रक्रिया में हैं। यानी कुल 520 मेगावॉट की सौर परियोजनाओं से 1 लाख से अधिक पंपों को फायदा मिलेगा। इससे किसानों की निर्भरता डीजल या पारंपरिक बिजली पर घटेगी और उनका खर्च भी कम होगा। यह राज्य के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पीएम कुसुम योजना का लक्ष्य और टेंडर प्रक्रिया
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत मध्यप्रदेश में 3.45 लाख कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 2.45 लाख पंपों के सौरकरण के लिए 1200 मेगावॉट की सौर परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। सरकार इस दिशा में तेज़ी से काम कर रही है ताकि किसानों को जल्द से जल्द फायदा मिल सके। यह योजना सिर्फ बिजली देने तक सीमित नहीं बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा सुरक्षा का भी माध्यम है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।