भोपाल। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने के बाद अब मध्य प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। राजधानी सहित सभी जिलों की पंचायतों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी और निर्वाचन अधिकारी आरक्षण की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। यह प्रक्रिया 25 मई तक पूरी की जानी है। हालांकि आरक्षण को लेकर हुई खींचतान की वजह से ग्राम पंचायत चुनाव का समय गड़बड़ा गया है।
अब तक ये चुनाव जनवरी और फरवरी में होते आ रहे थे, लेकिन इस बार चुनाव जून-जुलाई यानी बारिश्ा में हो सकते हैं। यह पहला मौका होगा कि जब ये चुनाव बारिश में होंगे। बता दें कि इससे पहले जब छत्तीसगढ़ का गठन नहीं हुआ था, तब मई 1994 में ग्राम पंचायत चुनाव हुए थे। उस वक्त तीन करोड़ 18 लाख 62 हजार 515 मतदाता थे और 68.48 फीसद मतदान हुआ था।
मध्य प्रदेश के 51 जिलों में होने वाले ग्राम पंचायत चुनाव के लिए कुल 67 हजार 82 मतदान केंद्र हैं। अभी आरक्षण की प्रक्रिया चल रही है। इसके पूर्ण होने के बाद मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तिथि घोषित कर देगा। तीन चरण्ाों में होने वाले इन चुनावों की तिथियां संभवत: जून-जुलाई की होंगी। इन महीनों में बारिश की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में यदि बारिश होती है तो मतदान केंद्रों पर समस्याएं बढ़ना तय हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के दिनों में कीचड़ होना आम है। साथ ही मतदाता भी बारिश की वजह से घर से निकलने में संकोच करते हैं।
वर्षा के अलावा बड़ी समस्या मिस प्रिंट की हो सकती है। यदि कोई मतदाता बारिश में मतदान करने जाता है और उसकी पर्ची गीली हो जाती है तो वह सील लगाकर उसे मतदान में उपयोग करेगा। ऐसे में वह पर्ची पहले से बाक्स में डाली गई पर्चियों को प्रभावित कर सकती है। इससे भी मतदान पर प्रभाव पड़ने की आशंका रहेगी
प्रदेश में 2005 के बाद से इन चुनावों में मतदान प्रतिशत भी बढ़ा है। इनमें पुरुषों के साथ ही महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर मतदान किया है। 2014-15 के चुनाव में तो महिला मतदाताओं ने पुरुषों की बराबरी कर ली थी